प्रदेश की सत्ता में फिर जगह न मिलना सीधी का अपमान है*?
मध्य प्रदेश जिला सीधी जी हां हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश की सत्ता का कुछ दिन पहले विस्तार हुआ जिसमें विंध्य को कोई खास जगह नहीं मिली तो यह कयास लगाए जा रहे थे कि विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य को जरूर मिलेगा इस रेस में सीनियर और योग्य विधायक केदारनाथ शुक्ला का भी नाम था इनके साथ ही देवतालाब से विधायक गिरीश गौतम का नाम भी चर्चा में था लेकिन आज हुए चुनाव में रीवा विधानसभा अंतर्गत देवतालाब के विधायक को मध्यप्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया और एक बार फिर से सीधी के जनमानस को निराशा हाथ लगी प्रश्न यह उठता है की वर्तमान सत्ता में योग्यताओं योग्यताओं को प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिलता क्योंकि तुलनात्मक ढंग से अगर देखा जाए तो इसका उत्तर यही होगा कि गिरीश गौतम की तुलना में केदार कहीं अब्बल दर्जे के विधानसभा अध्यक्ष साबित होते लेकिन उम्र के इस पड़ाव में कई बार भाजपा पद देते देते रह गई न कभी मंत्री और ना ही कभी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से सीधी विधायक को नवाजा गया यह उपेक्षा विधायक कि नहीं बल्कि सीधी जिले के आम जनमानस की भी है जो इतने बड़े बहुमत के साथ सत्ता में सहभागिता सुनिश्चित करती है जबकि अगर देखा जाए तो जिस दल ने कुछ दिनों के लिए सत्ता की चाबी पकड़ी उसने पूरे विंध्य में सबसे शानदार नेतृत्व सीधी जिले को दिया वाकई यह जिला मध्य प्रदेश की सत्ता में कई वर्षों से अपना दमखम दिखाता आया है लेकिन बीते कई वर्षों से उपेक्षा का शिकार रहा है दलीय राजनीति को अगर कुछ छड़ के लिए किनारे कर दिया जाए तो राजधानी में रहते यह गौरवपूर्ण लगता है की मेरे जिले का कोई प्रतिनिधि सत्ता में अपनी शानदार सहभागिता सुनिश्चित करे लेकिन वर्तमान सत्ता ने इस तरह उपेक्षित करके आम जनमानस का अपमान किया साथ ही सारे समीकरण पक्ष में होते हुए विधानसभा अध्यक्ष के पद से पृथक ही रखा बात किसी एक पद की नहीं है बात प्रतिनिधित्व की है जिस से वंचित रखा गया कास अध्यक्ष के पद पर सीधी की गरिमा आसीन होती तो कितना बेहतर होता ।