महुआ के लिए जंगलों में लगाई जा रही आग
राहुल सिंह गहरवार संस्थापक $ मैनेजिंग डायरेक्ट सीधी
चतरा में महुआ के मौसम में महुआ चुनने के क्रम में जंगलों में आग लगा दिए जाने की घटनाएं लगातार जारी हैं. गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ चतरा जिला के जंगलों में आग की लपटें भी तेज हो रही है. जंगलों से आच्छादित चतरा जिला में हरेक क्षेत्र में आग की लपटें देखी जा सकती है. दरअसल महुआ चुनने की कवायत शुरु होने के साथ ही जंगलों में आग लगा दी जाती है. हालांकि वन विभाग का कहना है कि ग्रामीणों को जागरुक करने की जरुरत है और सभी क्षेत्रों में महुआ के पेड़ों को संख्याबद्ध किया जायेगा तभी जंगल में आग लगने की घटना पर लगाम लग सकेगा.
गर्मी का मौसम आते ही महुआ के फूल को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र के जंगलों में आग लगा दी जाती है. लोगों का कहना है पतझड़ के बाद जंगल में काफी सूखे पत्ते पड़े रहते हैं इससे महुआ के फूल को चुनने में परेशानी होती है. चतरा जिले में दो वन प्रमंडल हैं उत्तरी एवं दक्षिणी. जिले के तकरीबन 67 फीसदी भूभाग में जंगल है. लेकिन अप्रैल एवं मई महीनों में जंगलों में भीषण आग की लपटें दिखती है. यह सिलसिला वर्षों से बदस्तूर जारी है. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों की अपनी दलीलें हैं लेकिन सच्चाई है कि जंगलों में आग लगने से पेड़-पौधे तो नष्ट होते ही हैं इसके साथ-साथ वन्य जीवों पर भी असर पड़ता है. लेकिन वन विभाग आज भी दावा करती है कि ग्रामीणों को जागरुक किया जायेगा.
आज तक जंगलों में लगी आग पर काबू पाने का कोई ठोस उपाय नहीं किए गये हैं. वन संरक्षक के.के.त्रिपाठी का कहना है कि जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण महुआ का पेड़ ही है. उन्होंने कहा कि वन समितियों को जागरुक किया जा रहा है ताकि जंगलों में लगी आग पर तुरंत नियंत्रण किया जा सके.
गौरतलब है कि चतरा जिला के सुदूरवर्ती क्षेत्रों कुंदा, लावालोंग, प्रतापपुर, राजपुर, सिमरिया, गिद्धौर, पत्थलगड्डा, हंटरगंज आदि प्रखंड क्षेत्रों के जंगल में आग लगी हुई है. हालांकि आग पर रोकथाम के लिए वन विभाग द्वारा टीम का गठन भी किया गया है.