April 20, 2024 10:32 am

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*यूं दामन को ‘दागदार’.. ना बनाइए ‘हुजूर’*…?

*यूं दामन को ‘दागदार’.. ना बनाइए ‘हुजूर’*…?

सीधी जिले की चिट्ठी आरबी सिंह राज के कलम से

प्यारे दोस्तों…!
आज मैं आपसे संजीदा मुद्दों पर चर्चा की शुरुआत यदि आपने इस ताजे स्वरचित शेर से करूं तो शायद ज्यादा प्रासंगिक होगा-
” खुद को ख़ुदा समझकर, ना इतराइए हुजूर !
सिर से ऊपर ना पानी, बहाइये हुजूर !!
हर सवाल होंगे रू-ब-रू, चुनाव-ए-जंग में !
यूं दामन को दागदार, ना बनाइए हुजूर !!”
——————————

मित्रों…! आज हम-आप जिस मुद्दे को लेकर यहां चर्चारत होंगे इनमें से एक मुद्दा बेहद संजीदा है ये हम नहीं कहते बल्कि जिला योजना मंडल से प्राप्त सरकारी आंकड़े खुद बयां करेंगे, जिससे वाकिफ होने के उपरांत आप जैसे बुद्धिजीवी पाठक स्वयं ही मूल्यांकन कर लेंगे की पूरे मामले का आखरी निष्कर्ष क्या है ?
तो चलिए शुरुआत करते हैं आप से चर्चा की।
*मुद्दा है यात्री प्रतीक्षालय का*…
सीधी जिले के बारे में आप जानते ही हैं कि या 4 विधानसभा क्षेत्र हैं जींस में दो सीधी और धौहनी में भाजपा एवं दो चुरहट एवं सिहावल में कांग्रेस के वर्तमान में विधायक हैं।
जिले की इन 4 विधानसभाओं में से 3:00 में यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण किया गया है। आपको स्मरण कराते चलें की इन यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण अमूमन सांसद या विधायक द्वारा उन्हें वार्षिक आवंटित निधि के कोटे से ही उनकी सहमति/स्वीकृति उपरांत बिना कोई ओपन टेंडर प्रक्रिया को फालो किए सामान्य कोटेश्वर सामान्य कोटेशन मंगवा कर कर लिया जाता है जिससे अक्सर ही ऐसे निर्माण कार्यों पर भारी-भरकम लागत लागत की तुलना में उसके निर्माण की गुणवत्ता सदैव संदिग्ध व सवालों के घेरे में रहती है। ऐसे सांसद,विधायक निधि के कार्यों में अक्सर ये आरोप लगते रहे हैं कि 1 रुपए की चीज की प्रोजेक्ट कॉस्ट 2 रुपए तो बनाई ही जाती है साथ ही काम की गुणवत्ता 1रुपए से नीचे की जमीनी हकीकत के सामने आती है।
*शुरुआत धौहनी विधानसभा से*…
जिले की ट्राइबल सीट धौहनी विधानसभा पर नजर डालें तो यहां विधायक निधि से वर्ष 2016-17 में 10 यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण कराया गया है। जिसमें प्रत्येक की लागत 2 लाख 36 हजार 921 रुपए की दर से 23 लाख 69 हजार 210 रुपए विधायक निधि से इसके लिए खर्च किए गए। जबकि वर्ष 2017-18 में कोई भी नवीन निर्माण नहीं हुआ।
*सीधी विधानसभा पर नजर*…
अब बात सीधी विधानसभा की करें तो यहां विधायक निधि से वर्ष 2016-17 में कुल 11 यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण हुआ। जिसमें प्रत्येक की लागत 3 लाख की दर से 33 लाख रुपए विधायक निधि से इसके लिए खर्च किए गए। वहीं अगले वर्ष 2017-18 में सीधी विधानसभा में 12 नए यात्री प्रतीक्षालयों का निर्माण कराया गया। जिसकी लागत पुरानी लागत के आधार पर ही 3 लाख रुपए प्रत्येक की दर से 36 लाख विधायक निधि से खर्च किए गए।
साथ ही इसी वित्तीय वर्ष 2017-18 में सीधी विधानसभा में ही 4 अलग से और भी यात्री प्रतीक्षालय निर्माण कराए गए जिनकी लागत पूर्व से अधिक होकर 3 लाख 54 हजार प्रत्येक की दर से कुल-14 लाख 16 हजार रुपए विधायक निधि से खर्च हुए।
कुल दो वित्तीय वर्षों में सीधी विधानसभा में 27 यात्री प्रतीक्षालय निर्मित हुए जिसमें 83 लाख 16 हजार की भारी-भरकम राशि खर्च की गई।
*सिहावल विधानसभा पर नजर*…
यात्री प्रतीक्षालय को लेकर यदि सिहावल विधानसभा पर नजर डालें तो यहां वित्तीय वर्ष- 2017-18 में दो कंक्रीट के यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण किया गया तथा अभी 3 और संभावित प्रस्तावित हैं जिस पर लागत राशि- 2 लाख रुपए की दर से अब तक कुल 4 लाख रूपये की राशि विधायक निधि से खर्च की गई है।
यहां एक यात्री प्रतीक्षालय अमिलिया में निर्मित हुआ है जिसे राज्यसभा में कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के सांसद मत से बनाया गया है।
*चुरहट विधानसभा पर नजर*…
यात्री प्रतीक्षालय को लेकर यदि चुरहट विधानसभा पर नजर दौड़ाएं तो यहां के विधायक ने अपने इस जारी कार्यकाल में इस पर कोई भी नवीन निर्माण राशि खर्च नहीं की है।
*रोचक पहलू पर नजर*…
एक और जहां सीधी जिले के 4 में से 3 विधायकों यात्री प्रतीक्षालय निर्माण पर अपनी रुचि दिखाई वहीं इनमें से विधायक ने भारी-भरकम 83 लाख से अधिक का अपना विधायक मद इस पर खर्च किया, वहीं दूसरे नंबर पर धौहनी विधायक ने 23 लाख 69 हजार का अपना विधायक मद इस पर खर्च किया जबकि तीसरे नंबर पर सिहावल विधायक नें चार लाख कि अपनी विधायक निधि खर्च की।
अब यहां रोचक पहलू पर जब आप यदि गौर करें तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की महात्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह मानते हुए कि एक गरीब का पक्का दो कमरे,किचेन,लेट्रिन बाथरूम सहित आवास ग्राम अंचलों में महज डेढ़ लाख में बन जाएगा उसके लिए अनुदान राशि स्वीकृत कर रखी है जबकि इस योजना में शहरी क्षेत्रों में ढाई लाख में पक्के आवास निर्माण की अनुदान राशि दी जाती है।
*अब गंभीर सवाल पर नजर*…
अब देश के प्रधानमंत्री की अपनी महात्वाकांक्षी योजना में उनकी तमाम एजेंसियों की जमीनी हकीकत की सर्वे रिपोर्ट पर जब यह पाया गया कि किसी गरीब का पूरा कंक्रीट आशियाना ही महज डेढ़ से ढाई लाख तक में बन सकता है और जिलेभर में इसका लाभ लोगों को मिल भी रहा है तो ऐसे में सवाल यहां अपने आप गंभीर हो जाता है की प्रधानमंत्री की यह योजना जब लागू नहीं थी उस वक्त भी उन वित्तीय वर्षों में जिले के विधायकों ने जिन ग्रामांचलों में जहां पीएम आवास पर डेढ़ लाख की राशि आज भी पर्याप्त मानी जा रही है वहीं इन ढाई से साढे लाख रुपए में यात्री प्रतीक्षालय के निर्माण पर अपनी भारी-भरकम राशि विधायकों ने अपने निधि से किस आंकलन के आधार पर खर्च की ?
मजे की बात तो यह भी रही है कि धौहनी व सीधी में बनाए गए ये यात्री प्रतीक्षालय कंक्रीट के भी नहीं हैं ये महज सैडनुमा अस्थाई निर्माण हैं।
*तूफान में भी खोली पोल*…
इन सैडनुमा बनाए गए यात्री प्रतीक्षालयों की गुणवत्ता पर नजर डालें जो कुछ ज्यादा अब कहने की जरुरत नहीं रही क्योंकि 4 दिन पहले ही आए तूफान में तो तकरीबन आधा दर्जन इन यात्री प्रतीक्षालयों के सेट ही क्षत विक्षत हो गए। जिससे आप इनकी गुणवत्ता व स्थायित्व को खुद समझ सकते हैं।
*यूं दामन को दागदार*…
मित्रों…! यह पूरी रिपोर्ट पढ़कर आप स्वयं मूल्यांकन कर सही गलत का निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
मैं अपने और आप की तरफ से बस यही राजनेताओं को कहना चाहता हूं कि-” खुद को ख़ुदा समझ कर इतना ना इतराइए कि आम जनता के सिर के ऊपर से पानी बहने लगे। ये चुनावी वर्ष है और जब ये राजनेता आप से रूबरू होने चुनाव-ए-जंग में आएंगे तो उन्हें ऐसे हर सवालों का जवाब भी देना होगा। इसलिए बेहतर है कि ये हुजूर यूं अपने दामन को दागदार होने से बचाएं !!
*एक सियासी करवट पर नजर*…
इस चुनावी वर्ष में आपको अब नए नए राजनीतिक नजारे देखने को मिलेंगे जिसकी शुरुआत अपने जिले में आगामी 28 मई से दिखने वाली है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का इस दिन सीधी जिले के सिमरिया क्षेत्र में सभा का कार्यक्रम प्रस्तावित हुआ है। श्री यादव यहां प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ अपना मोर्चा खोलेंगे। उनकी आमसभा को सेमरिया में ही आयोजित किए जाने के पीछे भी कारण रोचक है।
अतीत में गोपद बनास की विधानसभा जिले में अपने अस्तित्व में थी तब यहां सपा ने अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक के के सिंह भंवर को अपने प्रत्याशी बनाकर विजय श्री दिलाई थी। श्री खबर गोपद बनास विधानसभा के विलोपित होने के उपरांत कांग्रेस में शामिल हुए सीधी से चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भी रहे परंतु विजय श्री हासिल नहीं हो सकी। अतीत में लगभग 5 वर्ष पूर्व जब 2013 में विधानसभा चुनाव होने थे तब वो भाजपा में शामिल हो गए। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने उनकी वरिष्ठता के मद्देनजर उन्हें कुछ बड़े टिकट के आश्वासन दिए थे परंतु वह तो नसीब नहीं ही हुई साथ ही के के सिंह भवर की वन,आदिवासी एवं पर्यटन की विषय विशेषज्ञता के मद्देनजर भी जहां राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों में उनकी सहभागिता रहती रही है उस के लिहाज से भी उन्हें भाजपा ने कोई बड़ा ओहदा नहीं दिया।
अपनी उपेक्षा से आहत सुबह सपा से उनके पुराने संबंधों के मद्देनजर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सेमरिया में अखिलेश यादव की सभा होने से श्री भंवर सपा में शामिल होंगे।
परंतु यहां दूसरा पहलू यह कहता है कि अमूमन चुनावी वर्ष में ही लगातार अपनी राजनीतिक पार्टियां बदलते रहने से उन पर आम जनता में अवसरवादिता के आरोप लग सकते हैं।
वहीं यदि इस बात की संभावना को सच मान कर बात की जाएगी श्री भंवर यदि सपा में जाते हैं तो सीधी विधानसभा के समीकरण क्या होंगे ? तो इससे सपा की जीत के तो कोई नजारे फिलहाल नहीं दिखते परंतु यादव, मुस्लिम वह राजपूत वोटर्स के ध्रुवीकरण से कांग्रेस को जोरदार नुकसान जरूर होगा जबकि जो चुनाव सिर्फ कांग्रेस भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों के ही मैदान में रहने से पिछली बार कांटे का था वो भाजपा को लीड का सीधा फायदा पहुंचाएगा।
भाजपा की उपेक्षा से उसका विरोध करने के लिए सीधे चुनाव मैदान में यदि उतरने का फैसला श्री भवर ने किया तो जातीय या अन्य समीकरणों के मद्देनजर यह भाजपा के लिए हार कि नहीं बल्कि एक तरफा जीत की संजीवनी साबित होगा।
*और अंत में*…
चलिए अब एक रोचक मुद्दे पर बात करते हैं ! एक कहावत है-” वक्त जब निगाहें फेर लेता है, तो कुत्ता भी शेर को घेर लेता है!”
बात आपसे संजय टाइगर रिजर्व में 25 अप्रैल को आई उस नई नवेली शेरनी की कर रहे हैं जो बेचारी 10 दिनों से बाड़े में कैद है और अभी कितने दिन तक कैद रहेगी ये वो भी नहीं जानती ? हम आप तो अपने अच्छे दिन के इंतजार की सीमा अपने बुरे दिनों में ज्योतिषियों के पास जाकर पूछ सकते हैं परंतु शेरनी को तो यहां खराब नसीब के चलते आजादी के लाले पड़े हुए हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व से ट्रांसपोर्ट कर लाई गई नई नवेली शेरनी को यहां लाकर उसे यहां के पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए चंद दो चार दिनों की औपचारिक अनिवार्यता उपरांत बाड़े से आजाद कर संजय टाइगर रिजर्व की खुली वादियों में छोड़ा जाना था परंतु इसके लिए विभागीय तय मानकों एवं परमिशन की प्रक्रिया में उसे दो डॉक्टर्स की टीम द्वारा ट्रेंकुलाइज कर उसे विभाग के एक खास पिंजरा वाहन से जंगल में आजाद करना था परंतु जिन एक डॉक्टर स्कोर बांधवगढ़ से आकर दूसरे डॉक्टर के सहयोग से यह कार्य करना था वह कल शनिवार तक अपनी व्यस्ततावश यहां नहीं पहुंच सके।
जिससे कुल जमा इन दिनों तो जंगल के राजा शेर की बेगम को अच्छे दिनों के लाले पड़े हुए हैं। वो भी सोचती होगी कि- “उसके अच्छे दिन कब आएंगे”?

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