मामा के राज में भांजे भांजियां विद्यालय जाने के लिए तरस रहे सड़क को
मध्य प्रदेश जिला सीधी जी हां हम बात कर रहे हैं वनांचल क्षेत्र भुईमाड़
देश को आजाद हुए सात दशक बीत चुके हैं। देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है पर कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है। बताते चलें कि सीधी जिले के आदिवासी विकास खंड कुशमी के भुईमाड़ क्षेत्र में गैवटा के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय तक पहुचने के लिए
स्थापना काल से सडक नसीब नहीं हो पा रही हैं, वर्षों से सड़क की उठ रही मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है। आलम ये है कि विद्यालय आए बच्चों व शिक्षकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चारों तरफ खेत से घिरे बीच में बना विद्यालय एक रास्ता के लिए तरस रहा है। बच्चे, शिक्षक प्रतिदिन खेत के मेड़ के सहारे विद्यालय में प्रवेश करते हैं। ऐसा नहीं है कि किसी भी अधिकारी या फिर जनप्रतिनिधि को यहां की समस्या नहीं पता है बावजूद इसके विद्यालय का विकास नहीं हो पा रहा है। यहां की स्थिति विकास के दावे की पोल खोलने के लिए काफी है, विद्यालय का रास्ता निजी जमीन के पेंच में फंसा है। जब फसल बोने का समय आता है तब जमीन को जोतकर खेत तैयार कर फसल बो दी जाती है। उस समय और समस्या गहरा जाती है। जब खेत में लगी फसल की सिंचाई होती है, तब बिना बारिश के ही पगडंडी सड़क कीचड़मय हो जाया करती है, लेकिन जब बारिश होती है तो कीचड़ पानी की वजह से कभी-कभी विद्यालय बंद करने की नौबत आ जाती है। कीचड़ की वजह से बच्चे स्कूल आना नहीं चाहते हैं। लोगों की माने तो जब विद्यालय भवन का निर्माण किया गया उसी समय रास्ता पर भी विचार विमर्श होना जरूरी था लेकिन विद्यालय भवन तो बन गया लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता ही अवरुद्ध है। ये समस्या स्थापना काल से ही बनी है लेकिन आज तक रास्ता नहीं बन सका। बच्चों व शिक्षकों को खेत के मेड़ के सहारे गुजरना पड़ता है।
2 विद्यालय चलते हैं एक ही परिसर में
इस विद्यालय में करीब 92 बच्चे नामांकित हैं, इस विद्यालय कैंपस मे दो शाला संचालित होती हैं, जिसमें शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय गैवटा एवं प्राथमिक शाला गैवटा संचालित है।
विद्यालय के चारों तरफ खेतों में जब फसल बड़ी हो जाती है, तब पगडंडी भयावह लगने लगती है। बच्चे, शिक्षक हमेशा ये सोचकर भयभीत हो जाते हैं कि कब किधर कोई जानवर आ जाएगा कहना मुश्किल है। जब बच्चे उस समय खेतों की मेड़ पर होकर गुजरते हैं तो बच्चे भी हमेशा दहशत में रहते हैं,चारों तरफ फसल के बीच होकर जब बच्चे विद्यालय जाते हैं, तो बच्चे व अभिभावकों में हमेशा दहशत बनी रहती है।