May 20, 2024 2:44 am

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भाजपा प्रत्याशी के बाहरी होने का नारा विपक्षियों के नहीं आया काम कांग्रेस व निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी पर लगा रहे थे बाहरी होने का आरोप

भाजपा प्रत्याशी के बाहरी होने का नारा विपक्षियों के नहीं आया काम
कांग्रेस व निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी पर लगा रहे थे बाहरी होने का आरोप

 

मध्य प्रदेश जिला सीधी जी हां हम बात कर रहे हैं।विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और अब जहां एक और प्रदेश में भाजपा की बंफर लीड के उपरांत सरकार के गठन का कार्य प्रारंभ है वहीं दूसरी ओर जिला स्तर पर चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वी पर लगाए गए आरोप प्रत्यारोप की विवेचना और विश्लेषण का दौर भी आम जनता के बीच सुर्खियों में है।
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस व भाजपा के बागी प्रत्याशी केदारनाथ शुक्ला भाजपा प्रत्याशी पर बाहरी होने का आरोप लगाते हुए स्थानीय प्रत्याशी को जीत दिलाने की मतदाताओं से अपील कर रहे थे, भाजपा के बागी प्रत्याशी बतौर मैदान में उतरे पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला तो खुद को असली बीजेपी और भाजपा के प्रत्याशी को नकली भाजपा साबित करने में तुले हुए थे किंतु विपक्ष का ये नारा उनके काम नहीं आया बल्कि अब तक के सीधी विधानसभा चुनाव के इतिहास में सबसे ज्यादा मतों से जीत का सेहरा भाजपा प्रत्याशी रीती पाठक ने अपने नाम करने में कामयाब रहीं।
सीधी विधानसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ थी किंतु विगत 15 सालों से ये सीट भाजपा का गढ़ साबित हो रही है।
*अतीत में भी यहां लग चुका है बाहरी प्रत्याशी का नारा*
सीधी विधानसभा सीट में रीती पाठक से पहले भी बाहरी प्रत्याशी का नारा लग चुका है। वर्ष 1972 में जब सीधी विधानसभा सीट से चुरहट के सांडा गांव निवासी अर्जुन सिंह चुनाव लड़ने कांग्रेस के सिंबल से चुनाव मैदान में उतर गए थे तो जहां विपक्ष द्वारा उन्हें बाहरी प्रत्याशी होने का नारा लगाया जाता था, किंतु उस बार भी विपक्ष का ये नारा तब भी कामयाब नहीं हुआ था और अर्जुन सिंह सीधी से विधायक निर्वाचित होने में कामयाब हुए थे। इस बार भी विपक्ष का ये नारा नाकामयाब रहा।

उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी रीती पाठक सिहावल विधानसभा अंतर्गत पतुलखी गांव की रहने वाली हैं, किंतु इस बार पेशाब कांड से विवाद में आए केदारनाथ शुक्ला का टिकट कटने के बाद सांसद रीती पाठक को भाजपा ने सीधी सीट से चुनाव मैंदान में उतारा और उन्हें कुल मत 88,664 मिले। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिबंध कांग्रेस पर 35 हजार से ज्यादा मतों से जीत हांसिल कर विधायक निर्वाचित होने में कामयाब रहीं।
उनकी इस ऐतिहासिक जीत की आंधी में भाजपा के ने वर्तमान विधायक केदारनाथ शुक्ला जो अपनी टिकट काटने पर खुद को असली बीजेपी बताते हुए बागी बनकर चुनाव मैदान में उतरे थे उनकी जमानत तक जप्त हो गई।
*भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ में लगाई सेंध*
सीधी विधानसभा सीट से वर्ष 1972 में कांग्रेस के अर्जुन सिंह विधायक निर्वाचित हुए, वर्ष 1978 से अर्जुन सिंह ने सीधी सीट इंद्रजीत कुमार को सुपुर्द कर दी, इंद्रजीत कुमार इस सीट पर अंगद के पांव की तरह अपना पांव जमा बैठे वो लगातार इस सीट से 1978 से 2003 अर्थात 7 पंचवर्षीय विधायक निर्वाचित होते आए। वर्ष 2008 के नवीन परसीमन के बाद गोपद बनास सीट का विलय सीधी में कर दिया गया, वहीं सिहावल को नवीन विधानसभा सीट बना दिया गया, तबसे इस सीधी सीट पर भाजपा अपना पांव जमा बैठी। 2008 से भाजपा के केदारनाथ शुक्ला तीन बार लगातार विधायक निर्वाचित हुए, अब टिकट परिवर्तन के बाद भी भाजपा ये सीट और अधिक मतों से विजय हासिल कर बरकरार रखना में कामयाब रही।
*कांग्रेस ने पहली बार चौहान खंड में लगाया चौहानों पर दांव*
सीधी क्षेत्र चौहान खंड के नाम से जाना जाता है,किंतु कांग्रेस यहां इससे पूर्व किसी भी चौहान को बतौर प्रत्याशी चुनाव मैंदान में नहीं उतार पाई थी, जबकि अतीत के दशकों में लंबे समय से बृजेंद्रनाथ सिंह मिस्टर टिकट की मांग कर रहे थे। इस मर्तबा कांग्रेस ने पहली बार चौहान वर्ग के ज्ञान सिंह को बतौर प्रत्याशी चुनाव मैंदान में उतारा, वो गत चुनाव की अपेक्षा कुल 53,246 मत प्राप्त करते हुए कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़ाने में तो सफल रहे किंतु जीत दर्ज करने में असफल साबित हुए।
*अटकलों तक का मत हांसिल नहीं कर पाए केदारनाथ*
लोगों की अटकलों पर भाजपा के बागी व निर्दलीय प्रत्याशी केदारनाथ शुक्ला खरे नहीं उतर पाए। खुद को असली बीजेपी खाने वाले बागी प्रत्याशी एवं उनके समर्थक तो जीत के दावा कर रहे थे, किंतु लोगों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा था कि केदारनाथ शुक्ला 20 से 25 हजार तक मत भाजपा का काटते हुए अपने हिस्से में लाएंगे,जिस दम पर कांग्रेस अपनी जीत का सपना देख रही थी,किंतु वे उम्मीद पर खरा न उतरते हुए 13 हजार में ही सिमट गए।
केदारनाथ शुक्ला को प्राप्त मत- 13,856 रहा।

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