March 28, 2024 7:38 pm

swatantraindialive7

भगवान जगन्नाथजी बीमार पड़ने के पन्द्रह दिन बाद जगन्नाथजी की रथयात्रा होती है।

भगवान जगन्नाथजी बीमार पड़ने के पन्द्रह दिन बाद जगन्नाथजी की रथयात्रा होती है।

जानिए भगवान जगन्नाथ जी भी 15 दिन के लिए होते हैं बीमार

स्वतंत्र इंडिया लाइव सेवन की रिपोर्ट राज्य के जगन्नाथपुरी में एक भक्त माधवदास अकेले रहते थे, इनका संसार से कोई लेना देना नहीं था और अकेले बैठे भजन किया करते थे, वह नित्यप्रति प्रभु जगन्नाथ का दर्शन करते, साथ खेलते और उन्हीं को अपना सखा मानते थे।*

■ प्रभु इनके साथ अनेक लीलायें किया करते थे। प्रभु इनको चोरी करना भी सिखाते थे। भक्त माधवदास अपनी मस्ती में मग्न रहते थे।

■ एक बार माधवदास को अतिसार (उलटी–दस्त) का रोग हो गया। वह इतने दुर्बल हो गये कि उठ-बैठ नहीं सकते थे, पर जब तक इनसे बना यह अपना कार्य स्वयं करते और सेवा किसी से भी नहीं लेते थे।

■ कोई कहता कि महाराजजी हम आपकी सेवा कर दें, तो कहते नहीं। मेरे तो एक जगन्नाथजी ही हैं, वही मेरी रक्षा करेंगे। ऐसी दशा में जब उनका रोग बढ़ गया वो उठने बेठने में भी असमर्थ हो गये, तब जगन्नाथजी स्वयं सेवक बनकर इनके घर पहुंचे और माधवदास को कहा कि हम आपकी सेवा कर दें।

■ अपने भक्तों के लिये क्या नहीं किया…
क्योंकि उनका इतना रोग बढ़ गया था कि उन्हें पता भी नही चलता था कि कब मलमूत्र त्याग देते थे और वस्त्र गंदे हो जाते थे। उन वस्त्रो को भगवान जगन्नाथ अपने हाथो से साफ करते थे, उनके पूरे शरीर को साफ और स्वच्छ करते थे। कोई अपनी भी इतनी सेवा नहीं कर सकता, जितनी जगन्नाथजी ने भक्त माधवदास की सेवा की है।

■ जब भक्त माधवदास को होश आया, तब उन्होंने तुरंत पहचान लिया कि यह तो मेरे प्रभु ही हैं। एकदिन माधवदासजी ने प्रभु से पूछ लिया कि– प्रभु आप तो त्रिभुवन के मालिक हो, स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो, आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे और रोग दूर कर देते तो यह सब करना नहीं पड़ता।

■ ठाकुरजी कहते हैं देखो माधव! मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता, इसी कारण तुम्हारी सेवा मैंने स्वयं की है और जो प्रारब्ध होता है, उसे तो भोगना ही पड़ता है।

■ अगर उसको काटोगे तो इस जन्म में नहीं, पर उसको भोगने के लिये फिर तुम्हें अगला जन्म लेना पड़ेगा और मैं नहीं चाहता कि मेरे भक्त को ज़रा से प्रारब्ध के कारण अगला जन्म फिर लेना पड़े, इसलिये मैंने तुम्हारी सेवा की, लेकिन अगर फिर भी तुम कह रहे हो तो भक्त की बात भी नहीं टाल सकता।

■ भक्तों के सहायक बन उनको प्रारब्ध के दुखों से, कष्टों से सहज ही पार कर देते हैं। प्रभु अब तुम्हारे प्रारब्ध में यह 15दिन का रोग और बचा है, इसलिये 15दिन का रोग तू मुझे दे दे 15दिन का वह रोग प्रभु जगन्नाथजी ने भक्त माधवदास से ले लिया।

■ आज भी वर्ष में एक बार भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है ( जिसे स्नान यात्रा कहते है )

■ स्नान यात्रा करने के बाद हर साल 15 दिन के लिये भगवान जगन्नाथ आज भी बीमार पड़ते हैं।

■ 15 दिन के लिए मंदिर बंद कर दिया जाता है और भगवान जगन्नाथ की रसोई भी इन दिनों बंद रहती है।
भगवान को 56 भोग नहीं खिलाया जाता (बीमार हो तो परहेज़ तो रखना पड़ेगा)

■ 15 दिन भगवान जगन्नाथ को काढ़ो का भोग लगता है। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग लगाया जाता है। जगन्नाथधाम मंदिर में तो भगवान की बीमारी की जांच करने के लिये हर दिन वैद्य भी आते हैं।

■ काढ़े के अलावा फलों का रस भी दिया जाता है। वहीं रोज शीतल लेप भी लगाया जाता है। बीमारी के दौरान उन्हें फलों का रस, छेना का भोग लगाया जाता है और रात में सोने से पहले मीठा दूध अर्पित किया जाता है।

■ भगवान जगन्नाथ के बीमार होने के कारण 15 दिनों तक आराम करते हैं। आराम के लिये मंदिर के पट भी बंद कर दिये जाते है और उनकी सेवा की जाती है, ताकि वे जल्दी ठीक हो जायें।

■ जिस दिन वे पूरी तरह से ठीक होते हैं, उस दिन जगन्नाथ यात्रा निकलती है, जिसके दर्शन हेतु असंख्य भक्त उमड़ते है।

*#जगन्नाथजी के रथ का*
*#संक्षिप्त_परिचय…..*

1. रथ का नाम- नंदीघोष रथ,
2. काष्ठखंडो की संख्या- 832,
3. चक्कों की संख्या-16,
4. रथ की ऊंचाई- 45 फीट,
5. रथ की लंबाई चौड़ाई- 34 फ़ीट 6 इंच,
6. रथ के सारथी का नाम- दारुक,
7. रथ के रक्षक का नाम- गरुड़,
8. रथ में लगे रस्से का नाम- शंखचूड़ नागुनी,

9. पताके का रंग- त्रैलोक्य मोहिनी,

10. रथ के घोड़ों के नाम- वराह, गोवर्धन, कृष्णा, गोपीकृष्णा, नृसिंह, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान, रूद्र।

*#बलभद्रजी_के_रथ_का*
*#संक्षिप्त_परिचय …….*

1. रथ का नाम- तालध्वज रथ,
2. काष्ठखंडो की संख्या-763,
3. चक्कों की संख्या-14,
4. रथ की ऊंचाई- 44 फीट,
5. रथ की लंबाई चौड़ाई- 33 फ़ीट,
6. रथ के सारथी का नाम- मातली,
7. रथ के रक्षक का नाम- वासुदेव,
8. रथ में लगे रस्से का नाम- वासुकिनाग,
9. पताके का रंग- उन्नानी,

10. रथ के घोड़ों के नाम- तीव्र, घोर, दीर्घाश्रम, स्वर्णनाभ।

*#बहिन_सुभद्राजी_के_रथ_का*
*#संक्षिप्त परिचय…………….*

1. रथ का नाम- देवदलन रथ,
2. काष्ठखंडो की संख्या- 593,
3. चक्कों की संख्या- 12,
4. रथ की ऊंचाई- 43 फीट,
5. रथ की लंबाई चौड़ाई – 31 फ़ीट 6 इंच,
6. रथ के सारथी का नाम- अर्जुन,
7. रथ के रक्षक नाम- जयदुर्गा,
8. रथ में लगे रस्से का नाम- स्वर्णचूड़ नागुनी,

9. पताके का रंग- नदंबिका,

10. रथ के घोड़ो के नाम-रुचिका, मोचिका, जीत, अपराजिता।

201 Todays Views

राशिफल

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

Recent Post