April 23, 2024 8:39 pm

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*हम तो पूँछेंगे कलम की धार से*

*हम तो पूँछेंगे कलम की धार से*

【1】 *क्या जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल ब्यवस्था का जवाब ले पाएगी जनता*?

【2】 *क्या कृषकों को प्रदाय किये जाने वाले खाद बीज का विक्रय किया जा रहा है अगर हां तो क्यों*?

【3】 *क्या किसानों से जबरन कर्ज वसूली का आदेश प्रदेश सरकार की बेरहमी है या सीधी सहकारिता द्वारा किये घोटाले पर पर्दा डालने का कुप्रयास*?

सीधी आज रविवार है और हम पूंछ रहे हैं जन समुदाय से जुड़े कुछ प्रश्न आज पहला प्रश्न पूछ रहे हैं सीधी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल व्यवस्था पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से जनता को क्या सवाल करना चाहिए और जनप्रतिनिधियों से कैसे जवाब की अपेक्षा करना चाहिए सीधी जिला बीते कई सालों से स्वास्थ्य सेवाओं की दरकार में तंग और बदहाल है यहां स्वास्थ्य की हालत इतनी बदतर है कि किसी भी गंभीर बीमारी की स्थिति में सीधी के पड़ोसी जिले रीवा या फिर अन्य बड़े शहरों में जाना पड़ता है कहने को तो यहां से सत्ता के सांसद विधायक नगर पालिका से लेकर निचले पायदान के सभी पद वर्तमान सत्तासीन सरकार के अधीन है लेकिन जिले में स्थित एकमात्र शासकीय चिकित्सालय अपने ही संक्रमण से जूझ रही है ऐसी स्थिति में जब चिकित्सालय खुद संक्रमणकालीन समय से जूझ रही हो तो रोगियों के कल्याण की बात अंधे को दीपक दिखाने के समान हो जाती हैं सीधी के जिला चिकित्सालय में नियुक्त उच्च अधिकारी राज्य अथवा केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली जन कल्याणकारी योजनाओं का पलीता कैसे लगाया जाए इसका विधिवत खाका तैयार करने में जुटे रहते हैं ऐसी स्थिति में रोगियों के कल्याण की बात नहीं की जा सकती चिकित्सालय के अंदर प्रदा की जाने वाली दवाइयों में सभी रोगों के लिए एक ही दवा उपलब्ध है। ऑपरेशन थिएटर की हालत बद से बदतर है अनुभवी चिकित्सकों की खासा कमी है ।ऐसी हालत में गरीब हरिजन आदिवासी पिछड़ा दलित बेमौत मारा जा रहा है गांव में उपलब्ध उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत इतनी मैली है कि कुछ तो वर्ष भर नहीं खुलती और कुछ खुलती हैं तो वहां ना तो चिकित्सक रहते हैं और ना ही दवाइयां ऐसे में गांव में एक कहावत है कि -जब लिखा होगा तभी भगवान मौत लेगा- लेकिन यह कहावत पूरी तरह गलत है सीधी में गरीब बेमौत मारा जा रहा है ऐसी हालत में चुनाव नजदीक है तो जनता को निर्भीक होकर जनप्रतिनिधियों की घेराबंदी करनी चाहिये और मारे गए परिजनों ,बेटियां ,बच्चों के संबंध में बेवाक सवाल पूछना चाहिए कि आखिर क्या मजबूरी रही की सीधी में स्वास्थ्य सेवाएं आज तक उपलब्ध नहीं हो सकी

【2】 *क्या कृषकों को पता के जाने वाले खाद बीज का वितरण किया जा रहा है अगर हां तो क्यों*?

वर्तमान में किसान एक राजनीतिक शब्द बन गया है किसानों के नाम पर जबरदस्त राजनीति हो रही है कहीं सीने में गोली दागी जा रही है तो कहीं किसानों के नाम पर पुतला दहन किए जा रहे हैं किसान भले ही सत्ता पाने गंवाने का एक बहुत बड़ा हथियार बन गया हो लेकिन वर्तमान में किसान संक्रमण कालीन स्थिति से जूझ रहा है उसे सही समय पर खाद बीज की उपलब्धता सुनिश्चित ना हो पाने के कारण काफी तंग परेशान और हतोत्साहित है सीधी जिले में बात की जाए अगर कृषि विभाग की तो हालात इतनी बदतर है की सीधी में रामपुर चुरहट सिहावल और अन्य केंद्रों में किसानों को प्रदान की जाने वाली उत्तम किस्म के बीज का बाजार में विक्रय किया जा रहा है और किसान खेत में बोने के लिए लालायित है इसी तरह ना तो उसे बीज और ना ही खाद की उपलब्धता सुनिश्चित हो पा रही है यह आरोप गांव के किसान लगा रहे हैं तो सवालिया निशान यह है कि क्या खाद बीज और किसानों को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली योजनाओं का जबरदस्त कालाबाजारी की जा रही है यह बात हां में तब्दील हो जाती है। और उसी का उप सवाल कि ऐसा क्यों किया जा रहा है? यह तो कृषि विभाग के उच्च संचालक ही बता पाएंगे फिलहाल किसानों द्वारा कृषि विभाग के उच्च अधिकारियों के संबंध में जो शिकायत की गई है उसका बारीकी से जांच किया जाना चाहिए बात जो भी होगी सामने आएगी

【3】 *क्या किसानों से जबरन कर्ज वसूली का आदेश प्रदेश सरकार की बेरहमी है या सीधी सहकारिता द्वारा किए गए घोटाले पर पर्दा डालने का कुप्रयास*?

तीसरा और अंतिम अति गंभीर सवाल यह है की क्या किसानों से जबरन कर्ज वसूली का सीईओ सहकारिता द्वारा दिया गया आदेश प्रदेश सरकार के द्वारा किसानों को एक बार फिर आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने जैसा आदेश है। या फिर सीधी में भ्रष्टाचार के रूप में मंजिल मंजिल गढ़ी बना चुकी सहकारिता का अपने ही घोटाले पर पर्दा डालने का एक प्रयास है जी हां ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं की सीधी जिले में सहकारिता ने अनियमितता के रूप में एक कालिख का जबरदस्त उदाहरण पेश की है किसानों के बगैर जानकारी उनकी जमीन बंधक बना ली गई उनके नाम पर कर्ज निकाल लिया गया और उन्हें धड़ाधड़ नोटिस जारी की गई किसी की जमीन पर ट्रैक्टर निकाल लिया गया तो किसी के जमीन से नकद राशि ऐसी हालत में जब ए आर और सीईओ द्वारा अपने निचले अधिकारियों को सशक्त निर्देश जारी किया गया है कि जिन अधिकारियों द्वारा किसानों से 95% राशि वसूली का प्रोग्रेस नहीं दिया जाएगा उनके ऊपर वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी ऐसी हालत में किसान एक बार पुनः आत्महत्या को मजबूर होगा तो क्या यह मान लिया जाए कि वर्तमान सत्ता किसानों के साथ बेरहमी कर रही हैं या फिर यह मान लिया जाए कि सीधी की सहकारिता ने जिस तरह से किसानों के साथ अन्याय किया है उस पर पर्दा डालने का एक बार फिर से प्रयास किया जा रहा है और सहकारिता का जीर्णोद्धार करने के लिए एक असफल प्रयास किया जा रहा है बात जैसे भी हो लेकिन अगर किसान परेशान होगा तो राज्य सरकार के इन निचले और उच्चाधिकारियों से सवाल जरूर करेगा और मत मांगना जैसे जनप्रतिनिधि द्वार पर जाएगा तो बगैर जानकारी जमीन को बंधक बनाए जाने के संबंध में सहकारिता की बातों को बेबाक पूछेगा तो हमने आज के रविवार जन समुदाय से जुड़े 3 सवाल पूछे इसी तरह समाज के इर्द-गिर्द शासकीय सेवकों या जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जा रहे हैं अन्याय अनाचार को हम अपनी लेखनी के माध्यम से सवाल के रूप में पूछते रहेंगे फिर मुलाकात होगी अगले रविवार को

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