April 24, 2024 11:38 am

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*हम तो पूँछेंगे कलम की धार से- रोहित मिश्रा*

*हम तो पूँछेंगे कलम की धार से- रोहित मिश्रा*

【1】 *क्या सीधी के बजाय सिहावल से लड़ेंगे सीधी विधायक या कर रहे हैं लोकसभा की तैयारी*?

【2】 *क्या एक ही विभाग पर कई वर्षों से पदस्थ कर्मचारियों के कारण दर-दर भटक रहे गरीब बेसहारा*?

【3】 *क्या सीधी पुलिस की लचर व्यवस्था से बेपटरी हो रही जिले की कानून व्यवस्था*?

लेखक रोहित मिश्रा एडवोकेट सीधी
मध्य प्रदेश सीधी जिले से कलम लेकर एक बार फिर हाजिर हूं रविवारीय साहसिक प्रश्नों के साथ स्वराज पहला सवाल पूछ रहे हैं सियासत पर जिले का सियासी पारा गर्म है और हर कोई टिकट लेकर लोक सभा या विधान सभा की यात्रा करना चाहता है लेकिन इस टिकट के तले सियासत दार कई सियासी सवाल भी छोड़ जाते हैं यूं तो हर किसी भी संस्था न्यायालय अधिकारी या कर्मचारी का अपना क्षेत्राधिकार होता है जिसके पर इसके अंदर रहकर वह अपने कार्यों का संचालन या परिसंचालन करता है। लेकिन जैसे ही दायरे से बाहर जाकर कोई भी संस्था नेता या जनप्रतिनिधि कोई कार्य करता है वह कई सवालों को जन्म दे देता है ठीक इसी तरह का प्रश्न आज हम अपने पहले सवाल के रूप में कर रहे हैं सवाल पूछ रहे हैं कि क्या सीधी विधायक का सिहावल में जाकर भूमि पूजन करना उचित है ऐसी स्थिति में जब सिहावल क्षेत्र से लोकसभा के सांसद हो और पूर्व विधायक भी टिकट की जोर आजमाइश कर रहे हो इस तरह एक और सवाल का जन्म हो जाता है कि क्या सीधी विधायक वर्तमान सांसद को चुनौती दे रहे हैं या फिर लोकसभा की तैयारी करने में जुट गए हैं सियासत विरोध का पहला पायदान है लेकिन जब कोई लक्ष्मण रेखा पार कर ले तो उसके परिणाम कुछ और ही होते हैं कहने को तो सत्ता के नेताओं द्वारा लगातार विपक्ष पर आरोप लगाया जाता है कि विपक्ष के नेताओं में जबरदस्त गुटबाजी है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि विपक्ष से ज्यादा सत्ता में गुटबाजी अगर ऐसा ना होता तो खड़बडा से लेकर अमरपुर पहुंच मार्ग के पुल का भूमि पूजन करने सीधी विधायक सिहावल विधानसभा ना जाते यह सवाल इस रविवार को हम इसलिए कर रहे हैं विपक्ष पर उठ रहे लगातार सवाल को विराम मिल सके हालांकि हमारे इस सवाल से कुछ और सवाल उत्पन्न हो जाते हैं वर्तमान में जिले के विपक्ष को भी संगठित होकर जनता का दुख दर्द वाली नशा टटोलने की आवश्यकता है और अगर ऐसा करने में विपक्ष नाकाम रहता है तो परिणाम भयावह सकते हैं लेकिन इन सारी बातों से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि विपक्ष से ज्यादा सत्ता में अंदरूनी कलह है यह भी हो सकता है की टिकट कट जाने की स्थिति में सीधी विधायक लोकसभा की दावेदारी हेतु संगठन से मांग करें जिस की तैयारी वह सिहावल से शुरू कर दिए हैं बात जैसी और जो भी हो लेकिन एक बात स्पष्ट है कि विपक्ष से ज्यादा सत्ता में गुटबाजी है और वहां अपने ही नेता को कमजोर करने की ताबड़तोड़ प्रयास जारी है।

【2】 *क्या एक ही विभाग पर वर्षोँ से पदस्थ कर्मचारियों के कारण दर-दर भटक रहे गरीब बेशहारा*?
सरकारी तंत्र का सफल संचालन जिनके माध्यम से किया जाता है वह है कर्मचारी जिले में कई ऐसे विभाग है जहां 20 वर्ष से ऊपर एक ही विभाग पर कर्मचारी पदस्थ हैं और गरीब तंग और परेशान हैं जब कोई भी कर्मचारी 20 वर्ष से ज्यादा एक ही स्थान पर जमा रहता है तो वह स्थानीय रूप धारण कर लेता है स्थानीय निवासियों से अच्छी खासी पैठ बना लेता है उसके बाद उसके लिए गरीब बेसहारा एक मजाकिया शब्द बन जाता है यह सवाल इसलिए कर रहा हूं कि सीधी करुणा भवन आरटीओ ऑफिस आदिवासी विकास सहित कई ऐसे शासकीय विभाग है जहां एक ही स्थान पर वर्षों से कर्मचारी जमा है श्री महिला बाल विकास में पदस्थापित लिपिक लगभग 20 वर्ष एक ही स्थान पर पदस्थ हैं और महिलाओं को प्रदान की जाने वाली शासकीय योजनाओं को जमकर पलीता लगा रहे हैं। इससे भी गंभीर बात यह है की कई विभागों में कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाने के बाद भी जमे हुए हैं बिना नियुक्ति बिना प्रतिनियुक्ति सब टके शेर चल रहा है जिले में कलेक्टर एसपी प्रमुख पद माने जाते हैं जिनकी हालत और दयनीय है सीधी कलेक्टर की बात करें तो हर बात में हां किसी बात में ना नहीं के सूत्र में काम करते हैं काम हो चाहे ना हो लेकिन किसी को मना नहीं करते ऐसे में गरीब बेसहारा का प्रशासन के प्रति से विश्वास उठ जाता है और वह थक हार कर घर में बैठ जाता है पुलिस अधीक्षक केवल यही हाल है राम मिलाई जोड़ी की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं चारों तरफ कानून व्यवस्था का हाय तौबा मचा है सीधी पुलिस और कानून व्यवस्था से संबंधित बातें करेंगे अगले सवाल पर

【3】 *क्या सीधी पुलिस की लचर ब्यवस्था से बेपटरी हो रही जिले की कानून ब्यवस्था*?

पुलिस किसी भी तंत्र के सफल संचालन का प्रमुख हिस्सा होती हैं मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक है जिस कारण से सरकारी स्तर पर पुलिस विभाग की लगातार सर्जरी की जा रही है जिसमें किसी को कहीं किसी को कहीं लगातार स्थांतरित करने का कार्य जारी है इसी क्रम में सीधी भी क्रम बद्ध है सीधी में कुछ महीने पूर्व पुलिस कप्तान तरुण नायक को पुलिस टीम का सीधी प्रमुख बनाया गया था तब ऐसा लग रहा था कि पूर्व पुलिस कप्तान द्वारा किए गए कृत्यों और जनता के मन में जो पुलिस और जनता के बीच की खाई है उसे पाटने में सीधी के तरुण वाकई नायक साबित होंगे लेकिन जैसे ही समय बीतता गया और तरुण के कार्यों में निखार आता गया तो सीधी की जनता को भी समझने में देर नहीं लगी कहीं सब इंस्पेक्टर को नगर निरीक्षक बना रहे हैं तो कहीं नगर निरीक्षक को सब इंस्पेक्टर पुलिस अधीक्षक खुद यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस को कहां तैनात किया जाए लेकिन एक बात स्पष्ट है की जिले में स्थांतरण को लेकर भले ही अफरा-तफरी का माहौल हो पर सीधी की कानून व्यवस्था बेपटरी हो रही है कहीं शिक्षा के मंदिर में घुसकर चाकू-छुरी चल रहे हैं तो कहीं बस से उतार कर सरेराह पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती यह सीधी पुलिस के माथे का कलंक है जिसको मिटाए जाने का पुलिस के नायक को भरसक प्रयास करना चाहिए जिससे चुनावी साल में सीधी की कानून व्यवस्था पटरी पर सुचारु रुप से चल सके और सीधी कि जनता अमन चैन की सांस ले सके कुछ और सवाल पूछेंगे अगले रविवार को

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