*भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शिवराज के नहीं विजयवर्गीय के करीब रहेंगे, इंदौर में हुई जगह की तलाश पूरी*
राहुल सिंह गहरवार संपादक स्वतंत्र इंडिया लाइव सेवन
भोपाल भाजपा में शिवराज, विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा की कुर्सी खीचतान अब जगजाहिर हो चुकी है, जहाँ नरोत्तम मिश्रा इस बार किसी भी कीमत पर शिवराज को मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते, वहीं कैलाश विजयवर्गीय इस बार हर कीमत पर मुख्यमंत्री की कुर्सी कब्जियाना चाहते हैं। शाह और मत पर निर्भर मध्य प्रदेश भाजपा का सियासी खेल अब शह और मात की तरह दिलचस्प हो चुका है। मध्यप्रदेश भाजपा के तीनों खिलाडियों के दो-दो दुश्मन आजकल एक दूसरे से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार दिख रहे हैं।
शिवराज जहाँ नरोत्तम मिश्रा और विजयवर्गीय को निपटा कर फिर से सीएम की कुर्सी पर विराजमान होने के गुनताड़े में लगे हैं, वहीं अमित शाह का विजयवर्गीय के पक्ष में खड़ा होना पूरे सियासी गणित को बदलने का संकेत दे रहा है। अभी तक अमित शाह और मोदी को केवल शिवराज के दुश्मन के तौर पर देखा जाता था परन्तु ताजा घटनाक्रम में अमित शाह शिवराज के दुश्मन के साथ-साथ कैलाश विजयवर्गीय के गहरे दोस्त भी साबित होते नजर आ रहे हैं।
एक ताजा मामले में शिवराज ने अमित शाह को भोपाल में ठहराने के कई वैकल्पिक प्रबंध किये परन्तु शिवराज को उस समय बड़ा झटका लगा जब अमित शाह ने कैलाश विजयवर्गीय के नजदीक रहने की इच्छा जताते हुए भोपाल में रहने के शिवराज के प्रस्ताव को ठुकरा कर इंदौर के विजयवर्गीय से दोस्ती निभाने का निर्णय लिया।
*शिवराज जहाँ एक बार फिर मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव जीतकर पीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार बनना चाहते हैं, वहीं अमित शाह शिवराज को अभी ही निपटाकर मोदी के लिए 2019 सुरक्षित रखना चाहते हैं। मोदी को बचाने की इस लड़ाई में अमित शाह और कैलाश विजयवर्गीय एक तीर से कई शिकार खेलने के लिए मैदान में तो आ रहे हैं पर मुसीबत केवल इतनी है की इस बार जनता किसी भी भाजपाई को मैदान में टिकने ही नहीं दे रही।*