April 25, 2024 5:46 pm

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नर्मदा घाटी की 33 साल की लड़ाई, अब जीवनशाला में तीसरी पीढ़ी ले रही अंगड़ाई। उमेश तिवारी

नर्मदा घाटी की 33 साल की लड़ाई, अब जीवनशाला में तीसरी पीढ़ी ले रही अंगड़ाई। उमेश तिवारी

मध्य प्रदेश सीधी हौसला लड़ाकों में होता है पर हौसला संकल्प के साथ पूरे रुपैया भर का बिरले लड़ईयों में ही होता है। ऐसे ही लड़ाकों के साथ महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के सरदार सरोवर बांध से पुनर्वासित 100 प्रतिशत भील आदिवासी गांव ‘नर्मदा आशीष ग्राम” में 1अगस्त को रहा। देश के कई राज्यों के जन आंदोलनों के अगुआ साथियों के साथ पुनर्स्थापित भील आदिवासियों ने संकल्प दोहराया कि हम नर्मदा घाटी के डूब प्रभावित अपने हक और हकूक का 25पैसा लड़के लिए हैं 75 पैसे भी लड़के लेंगे जोश की भारी हुंकार में कहा कि लड़े हैं जीते हैं, लड़ेंगे जीतेंगे।
नर्मदा में बने सरदार सरोवर बांध में मध्य प्रदेश के 192, महाराष्ट्र के 33 गांव तथा गुजरात के 19 गांवों की जल समाधि हो गई है। धोखा खाना देश दुनिया में विस्थापितों की नियति हो गई है उससे अलग सरदार सरोवर के विस्थापित भी नहीं हो पाए हैं। हां महाराष्ट्र की नौकरशाही ने विस्थापितो के न्यायिक हको एवं पुनर्वासन में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को पालन करने की लोकलाज दिखा रही है। पर जालिम और बेईमान मध्य प्रदेश सरकार ने नियमों एवं न्यायालयों के आदेशों को धता बताने में शातिर निकली है।
नर्मदा आंदोलन की लड़ाई देश की अन्य लड़ाइयों से अनोखी है यहां संघर्षरत ग्रामीणों ने संघर्ष और निर्माण तथा नर्मदा आंदोलन के द्वारा चलाई जा रही जीवनशाला के छात्रों ने लड़ाई और पढ़ाई साथ-साथ का नारा दिया है।
तीन राज्य सरकारों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात से आंदोलन कारियों से ठनी ठना है। संघर्ष के 33 साल और आंदोलन हेतु तैयार हो रही तीसरी पीढ़ी ने भी आवाज बुलंद कर दी है कि “जब-जब जुल्मी जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से, तब-तब चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा इंकलाब के नारों से”।

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