March 29, 2024 5:50 pm

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हजारों विस्थापित किसान और आदिवासी जेल भरो आंदोलन में हुए शामिल। 254 की हुई गिरफ्तारी।- उमेश

हजारों विस्थापित किसान और आदिवासी जेल भरो आंदोलन में हुए शामिल। 254 की हुई गिरफ्तारी।- उमेश

प्रदेश सीधी जिले के मझौली मे टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के आयोजकत्व में आदिवासी एकता महासभा, एकता परिषद, स्वराज आंदोलन तथा माकपा द्वारा मझौली SDM कार्यालय में किए गए जेल भरो आंदोलन में हजारों की संख्या में विस्थापित किसान और आदिवासियों ने भागीदारी की। जेल भरो आंदोलन के पूर्व नया बस स्टैंड मझौली से SDM कार्यालय तक लगभग 5 किलोमीटर रैली निकालकर पैदल मार्च किया गया। आंदोलन के दरमियान तेज बारिश होने के कारण अफरा-तफरी का माहौल हो जाने के बाद भी 254 आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी की गई। गिरफ्तारी देने वालों में 68 महिलाएं तथा 186 पुरुष थे। SDM कार्यालय में पहुंचे आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि आज 9 अगस्त का दिन बड़ा ही ऐतिहासिक है आज ही के दिन देश से अंग्रेजों को भगाने हेतु भारत छोड़ो आंदोलन का ऐलान किया गया था तथा संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने गठन के 50 वर्ष बाद यह महसूस किया कि 21वीं सदी में भी विश्व के विभिन्न देशों में निवासरत आदिवासी समाज अपनी उपेक्षा गरीबी अशिक्षा स्वास्थ्य सुविधा का अभाव बेरोजगारी एवं बंधुआ मजदूर जैसे समस्याओं से ग्रसित हैं। आदिवासी समाज के उक्त समस्याओं के निराकरण हेतु विश्व के ध्यानाकर्षण के लिए आज ही के दिन 9 अगस्त 1994 को विश्व आदिवासी दिवस मनाने का फैसला लिया गया। हम आंदोलनकारियों में अधिकतर आदिवासी समाज से हैं हम अपनी बेहतरी के लिए जिन मुद्दों के समाधान हेतु जेल भरो आंदोलन करने आए हैं वह तो हमारे लिए आवश्यक ही हैं परंतु आज के ऐतिहासिक दिन विश्व आदिवासी दिवस एवं भारत छोड़ो आंदोलन को भी याद करना आवश्यक है। श्री तिवारी ने कहा कि भारत के मूलनिवासी को असुर, असभ्य, जंगली और नंगा जैसे नामों से नामकृत कर देश के भीतर ही देशवासी होने के सम्मान से वंचित रखा गया। भले ही 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम बताया जाता है पर यह भी सही है कि आदिवासियों ने अंग्रेजों से अपने जल जंगल जमीन की लड़ाई 1772 से ही शुरु कर दी थी जो संथाल पहरिया के विद्रोह के नाम से इतिहास में जानी जाती है है। परंतु आदिवासियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय करते हुए उनके शानदार और जानदार इतिहास को मिटाने का प्रयास किया गया है। आज भी जल जंगल जमीन का मुद्दा आदिवासियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है इस समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती विकास के नाम पर विनाश के षड्यंत्र से निपटने की है।
सभा को सामाजिक कार्यकर्ता रामचरण सोनी विद्याचरण शुक्ला आर के DM गांधी सियाशरण मिश्रा आर्यन पावर कंपनी हेतु अधिग्रहित जमीन के प्रभावित किसान शिवकुमार सिंह एकता परिषद की जिला समन्वयक सरोज सिंह आदिवासी एकता महासभा के कामरेड बलराज सिंह गुलाब सागर डूब प्रभावित किसान रामनरेश कुशवाहा श्रीपाल सिंह सरपंच सेंधवा कुसुम कली सिंह संजय टाइगर रिजर्व से पीड़ित ग्रामीण विनय सिंह ने भी संबोधित किया। सभा का सफल संचालन राजकुमार तिवारी द्वारा किया गया।
आंदोलन स्थल पर SDM मझौली SDO गुलाब सागर SDO संजय टाइगर रिजर्व तहसीलदार सहित अन्य अधिकारियों एवं आंदोलनकारियों के बीच मांगों पर बिंदुवार चर्चा की गई। जिसमें अधिकारियों के द्वारा बताया गया कि हमारे द्वारा आपके ज्ञापन अनुसार कई मांगों का निराकरण किया जा चुका है कुछ मुद्दों के समाधान की स्थिति में पहुंच रहे हैं तथा जो कुछ मुद्दे राज्य सरकार स्तर के हैं उनके संबंध में राज्य सरकार को पत्र भेज दिया गया है।

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