March 29, 2024 12:54 am

swatantraindialive7

*रास्ता रोंककर खड़ी हो गई…* *ये लगा जिंदगी से बड़ी हो गई ?*

*रास्ता रोंककर खड़ी हो गई…*
*ये लगा जिंदगी से बड़ी हो गई ?*

*प्यारे दोस्तों…!*

मध्य प्रदेश जिला सीधी हम सबके दिलों के प्यारे अजीज रहे *भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयीजी*
के देहावसान को दस दिन गुजर चुके हैं परन्तु आज भी यदि खबरों की सुर्खियां कुछ हैं तो *श्री अटजी* की खबरें…!

*सोचिये जरा…! क्या शख्सियत रहे हैं अटलजी !*

आज उन्हें याद करने के लिए उनकी लिखी ये पंक्तियां हम फिर आपको स्मरण कराते चलें-

*‘‘मौत से ठन गई‘‘* ————————–
*जूझने का मेरा कोई इरादा न था,*
*मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था !*
*रास्ता रोंककर खड़ी हो गई,*
*ये लगा जिंदगी से बड़ी हो गई !!*

*मौत की उम्र क्या ? दो-पल भी नहीं,*
*जिंदगी सिलसिला, आज-कल की नहीं !*

*मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,*
*लौट के आऊंगा, कूंच से क्यूं डरू !!*

*तू दबे पांव चोरी-छिपे से न आ,*
*सामने वार कर, फिर मुझे आजमा !*
*मौत से बेखबर, जिंदगी का सफर,*
*शाम हर सुरमई, रात वंशी का स्वर !!*

*बात एैसी नहीं, कि कोई गम ही नहीं,*
*दर्द अपने पराए, कुछ कम भी नहीं !*
*प्यार इतना परायों से, मुझको मिला,*
*न अपनों से बांकी, कोई गिला !!*

*हर चुनौती से दो-हांथ, मैने किये,*
*आंधियों में जलाए हैं, बुझते दिये !*
*रास्ता रोंककर, खड़ी हो गई,*
*ये लगा जिंदगी से, बड़ी हो गई !!*

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*मित्रों…!*

आपने एक फिलासफी जरूर पढ़ी होगी कि-

*दुनिया में पैसे कमाना, सरल है !*
*छल-फरेब करना, सरल है !*
*नाम कमाना, सरल है !*
*पद पाना, सरल है !*
*किसी को प्यार करना, सरल है !*
*झूठी शान के साथ जीना, सरल है !*

*तो फिर….*
*”कठिन” क्या है…..??*

*दुनिया का सबसे कठिन काम है…‘सरल‘ होना !!*
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*यकीनन…!*
*ये जो ‘सरल‘ होना है ना…!*
*यही सबसे कठिन काम है ! क्योंकि ‘सरल‘ होना बड़ी मुश्किल बात है !*

*खुद के भीतर के अभिमान, अहम और क्रोध की जब सारी दीवारें गिर जाती हैं तभी हम ‘सरल‘ हो सकते हैं और जब हम ‘सरल‘ होते हैं तभी हमारे भीतर इंसानियत और मानवता का प्रादुर्भाव जन्म लेता है।*

*सीख सके तो सीख…*
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*भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी* का अवसान एक दुखद घटना भर नहीं बल्कि हमारे जीवन के लिए सीखने लायक एक अनुकरणीय *‘जीवन-दर्शन‘ का संदेश* भी हमें देती है।

वो *‘जीवन-दर्शन‘* ये कि यदि वो सिर्फ एक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में या भाजपा के संस्थापक के रूप में जाने जाते तो बात इतनी दूर तक नहीं जाती क्यूंकि देश के कई प्रधानमंत्रियों ने अब तक दुनिया को अलविदा कहा है और लंबे समय तक अन्य ने भी देश के विकास में सहयोग दिया है। पर यहां जो शोहरत अपनी मौत के बाद भी *श्री अटलजी* को लेकर दीवानगी की हद के पार दिख रही है उसकी वजह उनका *‘अजात-शत्रु’* होना रहा है।

*यानी उनके सरल-सहज और प्रेम पूर्ण हृदय से भरे इंसानियत के व्यवहार ने उनका कोई दुश्मन ही नहीं बनाया जो राजनैतिक विरोधी रहे भी हैं वो भी उनके व्यक्तित्व के कायल रहे हैं। क्यूंकि श्री अटलजी का विरोध मुद्दों पर रहा था जिस पर मत-भेद तो होता था पर उनका किसी से मन-भेद या व्यक्तिगत विरोध नहीं होता था। जैसा कि वर्तमान की राजनीति में सरेआम है।*

*सीधी से जुड़ी हसीन यादें…*
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*अटलजी* की सीधी से एक बेहद हसीन सी याद को इन दिनों शहर के सयाने लोग शिद्दत से याद कर रहे हैं।
आज से तकरीवन *32 वर्ष पूर्व 10 जून 1986 को*
स्थानीय हायर सेकेन्ड्री स्कूल के फुटबाल मैदान में उनकी सभा हुई संयोगवश तब सीधी का पुराना जिला जेल भी (आज का बी.एस.एन.एल. कार्यालय) ठीक सामने था। जब सभा प्रारंभ हुई तो भाजपा सीधी की तरफ से पार्टी के राष्ट्रीय फंड हेतु *51 हजार की थैली अटलजी को भेंट की गई।*
अपने चुटीले अंदाज के लिए ख्यातिलब्ध *श्री अटल* ने अपने उद्बोधन की शुरूआत जिस ढंग से की वो आज यहां सुर्खियों में है।
*उन्होंने चुटीले अंदाज में कहा कि-*
*”चुंकि थैली छोटी है…*
*इसलिए मैं कम बोलूंगा…!”*
(हालांकि बाद में सीधी की तरफ से पार्टी फंड में और भी राशि की तत्काल घोषणा की गई)

*फिर अटल जी ने दूसरी चुटकी लेते हुए बात को बढ़ाया और कहा कि-*
*”इस भीषण गर्मी की दोपहरी में मेरी सभा जेल के सामने की गई है।”*
*उन्होंने तत्कालीन केन्द्र की कांग्रेस सरकार पर चुटकी ली की-‘‘ कांग्रेस की सरकार है, जो मुझे जेल के भीतर रखना चाहती है या जेल के सामने रखना चाहती है।‘‘*

*खैर…!*
ये तो थीं अटलजी से जुड़ी वो हसीन यादें। अब बात कर लेते हैं उनके अवसान उपरांत यहां आयोजित शोक सभाओं में पार्टी के भीतर श्रद्धा के आभाव पर।

*पूजा पार्क की सभा पर नजर…*
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*अटलजी* के निधन पर एक सर्वदलीय शोकसभा का आयोजन तत्काल ही किया गया। जहां भाजपा के सिवाए कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेता भी इसमें शिरकत करने पहुंचे थे। परन्तु दिन ढलने के बाद की इस सभा में एक वाक्या जो लोगों में जुबान बना वो ये रहा कि *अटलजी की बड़ी तस्वीर तो सभा स्थल पर रखी गई पर उनके लिए आयोजित शोक सभा में उस तस्वीर को कुछ मोमबत्तियां या दीपक नसीब नहीं हुआ।*
*उनकी तस्वीर के समझ श्रद्धा दीप के आभाव के साथ ही वक्ता उनको श्रद्धांजलि देते रहे।*

*भाजपा की शोकसभा में रही उदासीनता…*
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बीते गुरूवार को भाजपा ने स्थानीय मानस भवन में *स्व. श्री अटलजी* को श्रद्धांजलि देने के लिए पार्टी की एक शोकसभा आयोजित की गई थी जहां सैकड़ों कुर्सियां लगी होने के बावजूद भी पार्टी के *अधिकतम तीस-चालिस लोग ही उपस्थित हुए।*
सीधी शहर में आयोजित इस शोकसभा में जहां पार्टी के 7 मोर्चे के तकरीवन 250 से अधिक पदाधिकारी ही हों और प्रकोष्ठ एवं अन्य सामान्य कार्यकर्ताओं की भीड़ हो वहां संगठन के दम पर सत्ता तक पहुंचने वाली *भाजपा के प्रथम अध्यक्ष अटलजी* की शोकसभा में यूं कुर्सियां खाली रहना उनके प्रति यहां पार्टी के भीतर श्रद्धा भाव पर एक अच्छा संदेश नहीं दे सकी।

*विधायक ने जताई चिंता…*
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मानस भवन की पार्टी की इस शोकसभा में शिरकत करने आए *सीधी विधायक* ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं की बेहद कम उपस्थिति पर अपने उद्बोधन में कहा कि-
*‘‘अटलजी की श्रद्धांजलि सभा हो और इतने कम लोग हों ये चिंता का विषय है।‘‘*

*सीधी में विसर्जित हुई अस्थियां…*
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*स्व.अटल बिहारी बाजपेयीजी* का अस्थिकलश कल सीधी पहुंचा जहां जिले की सीमा बघवार से प्रवेश कर अस्थिकलश यात्रा रामपुर नैकिन, चुरहट,बढ़ौरा होते हुए सीधी शहर पहुंची।
जगह-जगह उनकी अस्थिकलश यात्रा में उन्हें चाहने वाले रास्ते में उनके अस्थिकलश पर पुष्पाजंलि अर्पित कर श्रद्धांजलि देते रहे। शनिवार की शाम स्थानीय मानस भवन में शहर के लोगों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये जिसके बाद मुख्यालय से तकरीवन 8 किमी दूर *सोननदी के गऊघाट तट पर श्री अटलजी की अस्थियों को विसर्जित किया गया।* इस दौरान भाजपा सहित अन्य अटलजी के चाहने वाले इस अस्थिकलश यात्रा में बरसात के रिमझिम फुहारों के बीच भी शामिल रहे।

*और अंत में…*
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*भारत रत्न अटलजी के निधन पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व वि.स. में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ‘राहुल‘ ने जहां इसे देश की क्षति बताते हुए कहा था कि श्री अटलजी किसी एक दल के नहीं बल्कि देश के नेता थे।*

साथ ही उन्होंने अपने प्रदेश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील भी की थी कि वो *अटलजी* की शोकसभाओं में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि दें।

पर कल शनिवार *श्री राहुल* के गृह जिले के कांग्रेसियों ने ही उनकी इस अपील को ठेंगा दिखा दिया। बघवार से लेकर सीधी तक में निकली इस अस्थिकलश यात्रा में रामपुर नैकिन में दो-तीन कांग्रेसी ही शोक व्यक्त करने गए।
*जबकि श्री राहुल के गृह ग्राम चुरहट में तो कोई कांग्रेसी इस अस्थिकलश यात्रा में शामिल होने तक नहीं गया।*
वहीं सीधी शहर में भी कांग्रेस के पूर्व यूकां शहर अध्यक्ष व एक-दो कांग्रेसी जो व्यक्तिगत आस्था के चलते इस यात्रा में सोननदी तक गये *जबकि पूरी जिला कांग्रेस कमेटी व पार्टी के चुरहट से लेकर सीधी वि.स. में टिकट के सैकड़ों दावेदार अपने नेता की अपील पर इस सभा में ना जाकर उन्होंने श्री राहुल की अपील की तबज्जो पर ही बट्टा लगा दिया।*

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