April 23, 2024 7:13 pm

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स्वाति नक्षत्र के साथ ब्रह्म योग में 13 सितंबर को मनेगी – गणेश चतुर्थी

स्वाति नक्षत्र के साथ ब्रह्म योग में 13 सितंबर को मनेगी – गणेश चतुर्थी

सिद्ध विनायक की उपासना से हर काम सिद्ध हो जाता है I यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक हर्षो-उल्लास के साथ मनाया जाता है I इस वर्ष यह त्योहार 13 सितंबर दिन गुरुवार को स्वाति नक्षत्र से युक्त ब्रह्म योग में शुरू होकर यह विशेष उत्सव अनंत चतुर्दशी यानि 23 सितंबर दिन रविवार को शतभिषा नक्षत्र तक मनाया जायेगा I ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काम सिद्धि के लिए गणेश की उपासना आवश्यक है I

कर्मकांड विशेषज्ञ पं० राकेश झा शास्त्री ने बताया कि लोकाचार में डेलहिया चौथ के नाम से जाना जाने वाला चन्द्रदर्शन निषेध का कार्य और बिहार में खासकर मिथिला संस्कृति में प्रचलित चौथचंदा का पर्व भी गुरुवार को ही मनाया जाएगा I इस पर्व के अवसर पर गणेश की उपासना से हर कार्य सिद्ध हो सकते है I भगवान नारायण के वराह अवतार भी इसी दिन हुआ था I

भादो मास का प्रमुख पर्व

पंडित राकेश झा ने कहा गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक चलती है I इस बार 11 दिन तक चलेगी I चतुर्थी 13 सितंबर को मनाई जाएगी लेकिन उपासना इससे आगे 10 दिनों तक चलेगी I पं० झा के आगे बताया की भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है I इनकी उपासना के लिए भाद्रपद का ये महीना काफी शुभ फलदायी होता है I इस वर्ष काफी उत्तम संयोग है जो मंगल मूर्ति की आराधना 10 के बजाय 11 दिनों की है I

चन्द्र दर्शन दोष से बचाव

पं० राकेश झा शास्त्री ने बताया भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि गुरुवार की रत में चंद्रदर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है I जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते है उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है I ऐसा शास्त्रों का निर्देश व अनुभूत है I कलंक के डर से मान्यता बन गई है जिससे लोग इस तिथि पर चंद्र दर्शन नहीं करते है I

पर्व को लेकर प्रचलित कथा

ज्योतिषी पं० राकेश झा ने कहा कि इस पर्व को लेकर प्राचीन कथा प्रचलित है I कथा के अनुसार शिव ने क्रोध में गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था I इसके बाद पार्वती के नाराज होने पर उन्होंने गणेश को नया रूप दिया I बाद में गणेश प्रथम पूज्य देवता बने I शास्त्रों में गणेश की उपासना के कई विधान और शुभ फलदायक बताया गया है I गणपति की पूजा- अर्चना से हर काम पूरा होता है तथा भादो माह में उनकी पूरे देश में उपासना धूमधाम से की जाती है I

पूजन का शुभ मुहूर्त

पंडित झा ने बताया कि सिद्धि विनायक गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसीलिए इसी काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। पूजा का मुहूर्त प्रात: 6:55 बजे से पुरे दिन तक है I

अभिजीत मुहूर्त :- दोपहर 11:21 बजे से 12:10 बजे

गुली काल मुहूर्त :- सुबह 8:40 बजे से 10:13 बजे

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