April 24, 2024 8:15 pm

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*म.प्र. में गहराया आर्थिक संकट- जाने क्यों ?*

*म.प्र. में गहराया आर्थिक संकट- जाने क्यों ?*

*सरकार के पास सिर्फ बेतन देने का पैसा।*

*आमदनी अठन्नी-खर्चा रुपयाः खजाने में बचे महज दो हजार करोड़ रुपये, फिजूल खर्ची रोकने और खर्चा कम करने पर शुरु हुआ मंथन*

म.प्र. भोपाल स्वतंत्र इंडिया लाईव 7 की रिपोर्ट म.प्र. में आर्थिक संकट लगातार गहराता जा रहा हैं। फिजूल खर्ची और आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया के हालात में म.प्र. के खजाने की सेहत बिगाड़ दी हैं। पिछले कुछ महीनों में तीन बार वेज एंड मींस (सिर्फ वेतन बांटने लायक पैसा बचा) की स्थति पैदा हो चुकी है। हालात नहीं सुधरे तो म.प्र. अक्टूबर में ओवर ड्राफ्ट हो सकता हैं। वेज एंड मींन एक तरह से ओवर ड्राफ्ट से पहले की स्थिति हैं। डैमेज कंट्रोल में जुटे वित्त विभाग ने अब बड़े विभागों के खर्चाे में कटौती शुरु कर दी है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग जैन और अन्य अधिकारी गृह, स्कूल शिक्षा, लोक निर्माण, स्वास्थ्य, जल संसाधन, उद्योग विभाग के साथ बैठक कर आने वाले खर्चांे का अंदाजा लगा रहे हैं। अक्टूबर तक स्थिति साफ हो जाएगी। यदि मौजूदा हालात रहें तो ओवर ड्राफ्ट की स्थिति आ सकती हैं।

*दिग्यविजय सरकार के आखिरी दिनों जैसी शिवराज सरकार की स्थिति*

भाजपा सरकार के 15 साल के कार्यकाल में म.प्र. कभी भी ओवर ड्राफ्ट की स्थिति में नहीं पहुॅचा हैं। इससे पहले दिग्विजय सिंह सरकार के आखिरी दिनों में जरुर म.प्र. में यह स्थिति पैदा हुई थी।

*क्या होता है ओवर ड्राफ्ट?*

ओवर ड्राफ्ट को आम भाषा में आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया कहावत से भी समझा जा सकता हैं। सरकार के पास आय से अधिक खर्च होने लगे तो यह स्थिति ओवर ड्राफ्ट कहलाती हैं। इससे प्रदेश की साख खराब होती हैं।
इस वित्तीय वर्ष में 5 बार बाजार से कर्ज ले चुकी है षिवराज सरकार
राज्य सरकार इस वित्तीय वर्ष के शुरुआती पांच महीनें में ही 5 बार बाजार से 6 हजार करोड़ रुपये कर्ज ले चुकी।

*फिजूल खर्च वाले काम*

लगातार दो साल तक सरकार ने प्याज के बंपर उत्पादन पर किसानों से प्याज खरीद ली और यह प्याज सड़ गई। इससे सरकार को करीब 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ।
युवा कांट्रेक्टर योजना पूरी तरह फ्लाप हो गई। युवा इंजीनियरों की ट्रेनिंग, स्टायपंड कर करोड़ो रुपये खर्च हुए। लेकिन यह योजना अपेक्षित नतीजे हासिल नहीं कर पाई।
नर्मदा सेवा यात्रा और आदि शंकराचार्य पर निकली एकात्म यात्रा में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो गए।

*यूँ होती गई हालात खराब*

7 से 8 हजार करोड़ रुपया खजाने में हमेशा रहता था दो साल पहले ।
1600 करोड़ रुपये है मप्र की वेज एंड मींस की सीमा।
3 बार खजाने में पैसा इससे भी कम हो गया जुलाई-अगस्त में सरकार के पास करीब दो हजार करोड़ रुपये बचे हैं। आने वाले महीनों में खर्च चलाने के लिए सकरार फिर कर्ज उठा सकती है। हालांकि अभी यह कर्ज एफआरबीएम एक्ट के दायरे में ही है। 31 मार्च 2018 तक राज्य सरकार के ऊपर 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हैं।

*जयंत मलैया, वित्त मंत्री म.प्र.*

दिक्कतें है लेकिन जो भी स्थिति बनेगी उसे संभाल लेंगें।

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