April 24, 2024 7:11 pm

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जनजातियों के नाम पर जारी हैं विकास विभाग में लूट

राहुल सिंह गहरवार संस्थापक $ मैनेजिंग डायरेक्ट सीधी

सीधी। सीधी जिले में करुणा भवन कलेक्ट्रेट में आदिवासी विकास विभाग इस समय चर्चा में है सूत्रों की माने तो आदिवासी विकास विभाग में खुलेआम विकास निधि का बंदरबांट किया जा रहा है साथ ही अधिकारियों कमीशन पर क्षेत्र में काम बांटने पर चर्चा जोरों में है सीधी जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र माना जाता हैं जहां मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा आदिवासी विकास विभाग को विकास निधि जारी की जाती हैं, जिससे वह आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्याें को गति प्रदान कर सकें जिसमें आदिवासी बालक छात्रावास भी इस विभाग के अंतर्गत आते हैं यह बात जिले में किसी से छुपी नहीं है कि विभाग द्वारा क्या-क्या कारनामें को अंजाम दिए जाते हैं। एक सच यह भी है। आदिवासी विकास विभाग का ए. सी. पशुओं का डाॅक्टर है।
क्या हैं मामला
मामला आदिवासी विकास विभाग का जहां उपसंचालक के द्वारा भृत्य को प्रमोशन दे कर बाबू के पद से सुशोभित कर दिया एडवोकेट मधु मिश्रा का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया नियम विरुद्ध की गई है जबकि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस प्रमोशन प्रक्रिया में रोक लगाई गई है साथ ही उन्होंने बताया कि कृपाचार्य गौतम रविंन्द्र कुमार पटेल को जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है उन्हे द्वितीय श्रेणी में पदोन्नत कर दिया गया एवं ना ही इन दोनो का नाम वरिष्ठता की सूचीं में है और ना ही डीपीसी कार्यवाही रजिस्टर में दर्ज किया गया है एवं सियार मूल्यांकन किया गया खुलेआम पैसे लेकर दोनों ही कर्मचारियों को प्रमोशन दिया गया हैं जो कि न्याय संगत नहीं है इस मामले की जांच जिला प्रशासन एवं उच्च अधिकारियों से कराई जानी चाहिए और दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए साथ ही उन्होंने बताया कि जिला अन्तर्गत सभी आदिवासी छात्रावास में बागवानी के नाम पर लाखों रुपए का आवंटन किया गया हैं जबकि वास्तविकता में किसी भी छात्रावास में कोई भी बागवानी का कार्य नहीं किया गया है जो कि बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं और जांच का विषय है यदि इस मामले की जांच की जाए तो बड़ा खुलासा सबके सामने होगा।
पषुचिकित्सा अधिकारी पर मेहरबान जनप्रतिनिधि एवं प्रषासन
जिले में आदिवासी विकास विभाग में पदस्थ उपसंचालक का मूल पद पशु चिकित्सा अधिकारी का है किंतु कई सालों से आदिवासी विकास विभाग की शोभा बढ़ा रहे हैं जबकि सीधी जिले के आदिवासी विभाग के इस पद का सवाल जवाब विधानसभा में भी हो चुका हैं जहां से उप संचालक महोदय को मूल पद में वापस करने की कार्यवाही भी हो चुकी है किन्तु उसके बाद भी उप संचालक महोदय न्यायालय के स्टे से आज तक आदिवासी विकास विभाग पर पैर जमाए बैठे हुए हैं सबसे बड़ा सवाल यह उठता हैं कि पशु चिकित्सा अधिकारी को मूल पद में क्यों नहीं प्रमुख विभाग का अधिकारी जिले में लाया जा रहा हैं कहीं न कहीं यह सब यह दर्शाता हैं कि अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों का पूरा संरक्षण इन्हें प्राप्त हैं।
कागजी घोड़े दौड़ा कर डकार रहे लाखों का बजट
सीधी जिले में आदिवासी छात्रावास के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं यह हम नहीं कर रहे हैं यही छात्रावासों की स्थिति बयां करती हैं ना छात्रावासों में छात्र और छात्राओं के लिए समुचित भोजन व्यवस्था है और न ही रहने की इंतजाम कागजी आंकड़ों में छात्रों एवं छात्राओं की उपस्थिति होती है कागज में भी छात्रावासों को विकासित कर दिया जाता है जबकि छात्रावासों के लिए आदिवासी कल्याण मंत्रालय की ओर से लाखों रुपए हर साल आते हैं किंतु छात्रावास की स्थिति देखकर पैसों का उपयोग समझ में नहीं आता हैं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आदिवासी विद्यालय में विज्ञान सामग्री जानी थी किंतु आज तक विज्ञान सामग्री विद्यालयों में नहीं पहुंची हैं जबकि कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि कागजों में सामग्री जरुर भेजी गई है किंतु विद्यालयों में उपयोग की जा रहीं सामग्री वही पुरानी है यह सब देख कर भी जिला प्रशासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी क्यों चुप हैं उन पर भी सवालिया निशान लगाते हैं।

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