March 28, 2024 3:26 pm

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2013 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जब नोटा ने छीन ली थी तीन मंत्रियों की कुर्सी!

2013 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जब नोटा ने छीन ली थी तीन मंत्रियों की कुर्सी!

राहुल सिंह गहरवार प्रधान संपादक स्वतंत्र इंडिया लाइव 7 मध्य प्रदेश

 

यूं तो नोटा यानि ‘किसी को वोट नहीं’ पिछले चुनावों में ही शुरू हो गया था. लेकिन उसी चुनाव में नोटा के कारण तीन तत्कालीन मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा था. इस बार भी मध्य प्रदेश में इसका प्रभाव बढ़ने की आशंका ज्यादा है. कुछ ऐसे प्रदर्शन और मामले सामने आए हैं जिनको लेकर लोगों में नाराजगी बढ़ी है और नोटा को हवा मिली है. (इसे पढ़ें- आरएसएस के जीत के ‘फार्मूले’ में छिपी है हार की चिंता!)

पिछले चुनावों यानी साल 2013 में नोटा की शुरुआत हुई और वोटर ने इसका भरपूर उपयोग किया. पिछले चुनावों में 6 लाख 51 हजार वोट नोटा के थे यानी कुल वोट का 1.90 प्रतिशत. 17 सीटें ऐसी थीं, जिन पर प्रत्याशियों की जीत के अंतर से ज्यादा वोट नोटा पर पड़े थे. जिन तत्कालीन मंत्रियों को इसने अपना शिकार बनाया उनमें लक्ष्मीकांत शर्मा, हरीशंकर खटीक, करण सिंह वर्मा जैसे बड़े नाम शामिल थे.

*2013 के चुनाव में नोटा का असर*

-लक्ष्मीकांत शर्मा, करण सिंह वर्मा, हरिशंकर खटीक
-रंजना बघेल औऱ माया सिंह जीती थी बेहद नजदीकी मुकाबला

*जीत हार के अंतर से ज्यादा पड़े थे नोटा पर वोट*

2018 के विधानसभा चुनावों में भी आशंका जताई जा रही है कि नोटा की संख्या बढ़ सकती है. सवर्ण आन्दोलन के बाद तो कुछ लोगों ने तो अपने घर के दरवाजों में बोर्ड लगाकर बाकायदा लिख भी रखा है कि हमारे घर कोई भी दल वोट मांगने न आए, हमारा वोट नोटा को है.

हालांकि सामाजिक आन्दोलन से राजनैतिक दल बने सपाक्स का कहना है कि नोटा समाज की हताशा को बताने का माध्यम है. नोटा को लोग तभी चुनते हैं जब राजनैतिक दलों से वो निराश हो चुके हैं. इस बार नोटा पर पड़ने वाले वोट सपाक्स को मिलेंगे. वहीं कांग्रेस को भी उम्मीद है कि लोग नोटा पर वोट डालकर अपना वोट बर्बाद नहीं करेंगे.

जीत औऱ हार के फैक्टर में नोटा अहम साबित हो सकता है. मध्य प्रदेश में कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है. प्रदेश भर में सर्वण समाज 15 फीसदी है, जबकि ओबीसी 37 फीसदी है. सवर्ण विंध्य में 29 प्रतिशत, ग्वालियर-चंबल में 28प्रतिशत, महाकौशल-22 प्रतिशत, मालवा-निमाड़ में 11फीसदी हैं. ओबीसी ग्वालियर-चंबल में 32 प्रतिशत, विंध्य-14 प्रतिशत, महाकौशल-18 प्रतिशत, मालवा-निमाड़ में 12 प्रतिशत हैं

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