चंपा से चंपारण के नायक करोड़पति सुशील कुमार
बिहार चंपारण किसी ने ठीक ही कहा है आसमान में सुराग क्यों नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो
चंपा से चंपारण वृक्षारोपण अभियान चलाकर जिस तरह से करोड़पति सुशील कुमार ने चंपा के पौधे से चंपारण के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित किया है इसकी कितनी भी तारीफ की जाए कम है मालूम हो कि 3 महीना पहले करोड़पति सुशील कुमार ने यह सपना भी नहीं देखा होगा कि उनका यह अभियान इतना विस्तृत रूप धारण कर लेगा और इसे इतना बड़ा जनसमर्थन हासिल होगा
लगभग 3 महीना पहले सुशील कुमार के पिता ने अपने नए जमीन पर एक चंपा का पौधा लगाया था इसे देखकर सुशील कुमार के मन में जिज्ञासा हुई कि चंपा का पौधा हमारे ही दरवाजे पर क्यों सब के दरवाजे पर क्यों नहीं काफी सोच विचार के बाद सुशील कुमार इस निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे कि आखिर इसकी शुरुआत कहां से कैसे किया जाए पता नहीं क्या होगा जनता का समर्थन हासिल होगा या लोग मजाक बनाएंगे फिर सुशील कुमार अपने पॉकेट मनी से कुछ चंपा के पौधे खरीद कर अपने मित्रों सगे-संबंधियों के दरवाजे पर लगाने लगे और इस का फोटो खींचकर सोशल साइट पर डालने लगे सोशल साइट पर इसका जबरदस्त प्रभाव देखने को मिला सोशल साइट्स पर प्राप्त जनसमर्थन ने करोड़पति सुशील कुमार के मनोबल को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया एवं चंपा चंपा पौधे के वृक्षारोपण कि जो पृष्ठभूमि उनकी मस्तिष्क में तैयार हो चुकी थी उसको अब धरातल पर उतरने का वक्त आ गया था
बकौल सुशील कुमार जब मैं इस कार्यक्रम को मेधा पाटकर जी के साथ लॉन्च किया मुझे स्वयं उम्मीद नहीं थी कि यह आंदोलन इतना बड़ा जन आंदोलन बन जाएगा और चंपारण के ही निवासी एवं एन आर आई राकेश पांडे जी के सवा लाख चंपा पौधे के डोनेशन के बाद मानो या चंपा से चंपारण कार्यक्रम युद्ध स्तर पर चलने लगा स्वयंसेवक बनते गए एवं लोग अपने स्तर