April 25, 2024 3:19 pm

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एसटी-एससी कानून: अब नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत

एसटी-एससी कानून: अब नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत

राष्ट्रपति ने दी एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को मंजूरी

राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी करने वाले एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद एसटी-एससी कानून पूर्व की तरह सख्त प्रावधान है। अब अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) को सताने पर तुरंत मामला दर्ज होगा और गिरफ्तारी भी होगी। मामला दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच और गिरफ्तारी से पहले इजाजत लेने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी है। इस कानून के तहत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत के प्रावधान (सीआरपीसी धारा 438) का लाभ नहीं मिलेगा। यानि अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।

बता दें कि सुपीम कोर्ट ने बीते 20 मार्च 2018 को दिए गए फैसले में एसटी-एससी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा निर्देश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एसटी-एससी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा। डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच कर पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित तो नहीं है। इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी से पहले सक्षम अधिकारी और सामान्य व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले एसएसपी की मंजूरी ली जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त की अग्रिम जमानत का भी रास्ता दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देश में विरोध शुरु हुआ था। बाद सरकार ने कानून को पूर्ववत रूप से लाने के लिए एसटी-एससी संशोधन बिल संसद में पेश किया था और दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।

याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित

एसटी-एससी कानून में संशोधन के बाद वैसे तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कोई महत्व नहीं रह गया है। लेकिन, इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। पुनर्विचार याचिका पर मुख्य फैसला देने वाली पीठ के न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल व यूयू ललित की पीठ सुनवाई कर रही थी। इस पीठ ने फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की सरकार की मांग ठुकरा दी थी।

धारा 18 ए को भी जोड़ी गई

राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद संशोधन कानून प्रभावी हो गया है। इस संशोधित कानून के जरिए एसटी-एससी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी गई है। इस कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है और न ही जांच अधिकारी को गिरफ्तारी करने से पहले किसी से इजाजत लेने की जरूरत है। इस कानून के तहत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत के प्रावधान (सीआरपीसी धारा 438) का लाभ नहीं मिलेगा। यानि अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।

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राशिफल

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