April 20, 2024 3:43 pm

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*हम तो पूँछेंगे कलम की धार से*

*हम तो पूँछेंगे कलम की धार से*

【1】 *क्या सीधी कलेक्टर के शख्त रवैये से वाकई शख्त हुई प्रशासनिक ब्यवस्था*?

【2】 *क्या सरकार बदलने से जनता को प्रशासनिक हिटलरशाही से मिल पाएगी मुक्ति*?

【3】 *क्या करुणा भवन में भी शख्त हुआ प्रशासन या फिर अखबारों तक सीमित है कलेक्टर की शख्ती*?

मध्य प्रदेश जिला सीधी आज रविवार है और हम अपने खास पेशकश हम तो पूछेंगे कलम की धार का नवीन वर्ष 2019 के पहले रविवार को शुभारंभ कर रहे हैं 2018 वापस हो गया और नव वर्ष नई सोच के साथ प्रारंभ हो गया है तो पहला सवाल पूछ रहे हैं *क्या सीधी कलेक्टर के शख्त रवैये से वाकई शख्त हुई प्रशासनिक ब्यवस्था*? नया वर्ष प्रारंभ हुआ सरकार बदल गई प्रशासनिक फेरबदल भी जमकर हुआ आईएएस आईपीएस के मध्य प्रदेश में तबादले भी हुए उसी सूची में सीधी को भी नया प्रशासनिक प्रमुख मिल गया सीधी कलेक्टर आते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दे जिससे आम जनमानस को एक उम्मीद की नई किरण दिखने लगी लोग कहने लगे सरकार बदल गई तो प्रशासन सख्त हो गया काफी मेहनत से जिले की ब्यूरोक्रेसी को सुधारने में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं सीधी कलेक्टर लेकिन सीधी में कई ऐसे प्रशासनिक मुखी आए हैं जो शुरुआती दिनों में ताबड़तोड़ प्रशासनिक जौहर दिखाते हैं लेकिन धीरे-धीरे करके उसी लीक पर पहुंच जाते हैं जिसमें और कई चले रहते हैं मेरा सवाल सिर्फ इतना है कि यह सख्ती क्या अनुपात में कायम रह पाएगी अगर नहीं रह पाएगी तो फिर ऐसे सख्ती का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि प्रशासन प्रशासनिक प्रमुख के इशारे पर चलता है प्रशासनिक प्रमुख इन दिनों अपने सख्त लहजे और तेवर के लिए जिले में एक अलग छाप बना चुके हैं लेकिन यह माहौल जिला मुख्यालय के 20 से 25 किलोमीटर के अंदर वाले गांव में दिखाई दे रहा है बल्कि जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र में ना तो उप स्वास्थ्य केंद्र समय से खुलते हैं और ना ही शैक्षणिक गतिविधियां पंचायतों का हाल बेहाल है कर्मचारी मस्त है इस तरह से हम यह कह सकते हैं की प्रशासनिक प्रमुख शक्ति काबिले तारीफ है लेकिन प्रशासन पूरी तरह से पटरी पर अब तक नहीं आ पाया है

【2】 *क्या सरकार बदलने से जनता को प्रशासनिक हिटलर शाही से मिल पाएगी मुक्ति*?

आम जनमानस को मुख्यमंत्री मंत्री ,केंद्रीय मंत्री, या प्रधानमंत्री से कोई काम नहीं पड़ता बहुसंख्यक मतदाता जिस पर लोकतंत्र टिका हुआ है वह नेता अभिनेता के पास बिल्कुल नहीं जाता उसका एक मात्र सहारा होता है प्रशासन जिसके कंधे पर सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन शत प्रतिशत किए जाने की जवाबदेही होती हैं प्रशासन के माध्यम से ही जनता को सरकार का लाभ मिल पाता है फिर जनता कहती है कि वाकई सरकार बदलने से हम तक योजनाओं का लाभ पहुंच पाया है लेकिन यहां एक और प्रश्न पैदा हो जाता है कि सरकार बदल गई प्रशासनिक मुखिया बदल गया लेकिन दूसरे तीसरे और चौथे नंबर के कर्मचारी कई विभागों में 20 वर्ष से भी लंबी अवधि से जमे हुए हैं वह अंगद जैसे पांव जमाए हुए हैं सरकारे यहां आ जाएं कलेक्टर बदल जाए मुख्य कार्यपालन अधिकारी बदल जाए ऐसे कर्मचारियों के प्रशासनिक सेहत में कोई असर नहीं पड़ता जबकि बड़े अधिकारियों के संपूर्ण निर्देशों का पालन करने का शत प्रतिशत जवाबदेही ऐसे ही निचले स्तर के कर्मचारियों पर होती है लेकिन वह प्रशासनिक दांवपेच जानते हैं और जनता त्रस्त रह जाती है ऐसे में प्रशासनिक मुखिया बदलते हैं अंगद जैसे पांव जमाए हुए कई वर्षों से एक ही विभाग में तैनात कर्मचारियों का तबादला किया जाना चाहिए ताकि सरकार के बदलाव और प्रशासन की सख्ती जनता पर सीधा असर हो सके मेरे हिटलर शाही कहने का एक मात्र कारण यही है की प्रशासन के उच्च अधिकारियों से ज्यादा निम्न अधिकारियों का उदासीन रवैया जनता को परेशान करता है

【3】 *क्या करुणा भवन में भी शख्त हुआ प्रशासन या फिर अखबारों तक सीमित है कलेक्टर की शख्ती*?

मेरे करुणा भवन कहने का मतलब यह है की सीधी जिले का प्रशासन जहां से नियंत्रित होता है उस भवन का नाम है करुणा भवन लेकिन वहां अब से पहले कभी करुणा नहीं दिखाई दी बल्कि आम जनमानस करुणा करके बिलखते हुए बैरंग लौट जाता था फटा लंगोट जिनके तन में ठीक के कपड़े भी नहीं होते ऐसे लोग उस करुणा भवन से वास्तविक न्याय नहीं पाए अपनी ही जमीन का नक्शा खसरा निकालने के लिए जिला अभिलेखागार में आम गरीब सुबह से शाम तक लाइन में लगा रहता है हाथों में कर्मचारियों को भगवान मानकर चढ़ाने के लिए चढ़ उत्तरी भी लिए रहते हैं ऐसा कोई भी कर्मचारी नहीं है जो नक्शा खसरा के पुराने दस्तावेज देने के बदले पैसा न लेता पैसा लेने के बाद भी आम जनमानस को दर-दर भटकना पड़ता है दस्तावेज महीनों महीने नहीं मिल पाते कहने को कैमरा लगा है लेकिन जहां तक मेरा सामान्य ज्ञान सही है उस कैमरे को कोई देखने वाला प्रशासनिक प्रमुख अब तक नहीं हुआ है ठीक उसी तरह से तहसील गोपद बनास में पूर्णता बाबू राज कायम है यहां क्लर्क या लिपिक का आदेश ही सुप्रीम आदेश होता है और पीठासीन अधिकारी भी उन्हीं के मर्जी से संचालित होते हैं महिला एवं बाल विकास के माध्यम से संचालित योजनाएं मात्र आगनबाडी कर्मचारियों के घर तक सीमित रह गई हैं इस तरह कई ऐसे विभाग है जो करुणा भवन के अंदर स्थित है प्रशासनिक मुखिया से लेकर संपूर्ण उच्च अधिकारी वहीं रहते हैं बेशक वह गांव गिरान पहुंच जाए लेकिन करुणा भवन को सख्त नहीं कर पाते इस तरह हम कह सकते हैं कि अगर करुणा भवन सख्त नहीं हुआ तो कलेक्टर की सख्ती सिर्फ अखबारों तक है आज बस इतना ही फिर मिलेंगे अगले रविवार को कुछ बेबाक विचार अभिव्यक्ति के साथ

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