March 29, 2024 3:10 pm

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रेंजर की तानाशाही से मानवाधिकारों का हनन दहशत में जीवन बिता रहे टाइगर रिजर्व के रहवासी

रेंजर की तानाशाही से मानवाधिकारों का हनन
दहशत में जीवन बिता रहे टाइगर रिजर्व के रहवासी

मध्य प्रदेश जिला सीधी के कुसमी आदिवासी अंचल के
संजय टाइगर रिजर्व वन परिक्षेत्र दुबरी में पदस्थ वन परिक्षेत्र अधिकारी की तानाशाही से रिजर्व क्षेत्र के रहवासियों के मानवाधिकारों का खुले तौर पर हनन हो रहा है। बावजूद इसके विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। जिसके चलते क्षेत्र के रहवासी दहशत भरा जीवन बिताने को मजबूर हैं।

*वाहनों से नाजायज वसूली*

संजय टाइगर रिजर्व का प्रवेश द्वार बड़काडोल जहां से की दर्जनभर से ज्यादा ग्राम के ग्रामीण अपने निजी जरूरत का सामान लेने मझौली बाजार अथवा जिला मुख्यालय या अन्यत्र आते जाते हैं। अगर शाम 6 बजे के बाद कोई भी ग्रामीण अपना वाहन लेकर जाते हैं तो रिजर्व क्षेत्र के नियम का हवाला देकर नाजायज व मनमानी वसूली की जाती है। अगर वसूली नहीं दी गई तो रात भर वाहन के साथ गेट पर ही खड़े रहने के लिए विवश होना पड़ता है।

*वन्यजीव हत्या का दिखाया जा रहा भय*

ग्रामीणों की माने तो बाघ के डर से छोटे-मोटे जंगली जानवर गांव की तरफ आ जाते हैं। जिनका कुत्तों के द्वारा शिकार कर लेने पर कुत्ता मालिक पर वन्य जीव हत्या का प्रकरण कायम करने का भय दिखा कर वसूली की जाती है अन्यथा अपराध कायम कर दिया जाता है।

*पेयजल संकट से जूझ रहे लोग*

लोगों ने बताया कि पेयजल व्यवस्था के लिए निजी तौर पर बोरवेल कराने के लिए बोरिंग मशीन लाई जाती है तो उस पर भी गेट में रोक लगा दी जाती है और कहा जाता है कि क्षेत्र संचालक संजय टाइगर रिजर्व से परमिशन लेकर आओ अगर परमिशन मिल भी जाती है तो फिर भी रेंजर द्वारा हीला हवाली की जाती है। जिस कारण बोरिंग मशीन नहीं जा पाती है और यहां के रहवासी पेयजल समस्या से भी जूझ रहे हैं ।

*विवाह पर वाद्य यंत्रों में लगाई रोक*

कन्या विवाह में वाद्य यंत्रों पर भी रेंजर द्वारा रोक लगाए जाने से विवाह जैसे उत्सव के कार्यक्रम भी मातमी लगने लगते हैं। लोगों में निराशा बनी रहती है क्योंकि कार्यक्रम उत्सव के साथ संपन्न नहीं हो पाता है। गत वर्ष बड़काडोल निवासी राम शिरोमण भुर्तियां द्वारा अपनी पुत्री की शादी का आयोजन किया था जिसमें बारातियों द्वारा वाद्य यंत्र व वाहन लाए गए थे जिन्हें प्रवेश द्वार पर समय सीमा का हवाला देकर रोक दिया गया और पूरे बारातियों को काफी दूर तक पैदल ही जाना पड़ा जिससे उन्हें इन्हें काफी परेशानी तो उठानी ही पड़ी साथ ही पूरे उत्सव का माहौल मातम जैसा हो गया था। जिस पर भी ग्रामीणों द्वारा आक्रोश प्रकट किया गया था। इस वन क्षेत्र के रहवासी अनुसूचित जाति एवं जनजाति सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि हमारे उत्सव के आयोजन में जंगल के नियम का हवाला दिया जाता है जबकि रेंजर के द्वारा विभागीय कार्यक्रमों में भरपूर वाद्य यंत्र व डीजे का उपयोग किया जाता है।तब रिजर्व क्षेत्र का नियम कहां चला जाता है।

*रेंजर का भाई बना अघोषित संविदाकार*

संजय टाइगर रिजर्व परिक्षेत्र दुबरी अंतर्गत विभिन्न विभागीय निर्माण कार्यों में खुले तौर पर जेसीबी वाहन व मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही वन संपदा का भी पूरी तरह से अवैध रूप से दोहन किया जाता है। इन संपूर्ण मामलों में पदस्थ रेंजर की चुप्पी इस बात को दर्शाती है कि उनका सगा छोटा भाई इन तमाम निर्माण कार्यों का अघोषित ठेकेदार बना हुआ है।

ज्ञात हो कि रिजर्व क्षेत्र में काफी दिनों से बड़े पैमाने पर सड़क, पुल, पुलिया व फेंसिंग तार बाड़ी के कार्य कराए गए हैं। इन कार्यों के लिए बाकायदा उपयोग में ली जाने वाली सामग्री जैसी मिट्टी, मुरूम, गिट्टी ,पत्थर, रेत, सीमेंट, लोहा इत्यादि की आपूर्ति के लिए टेंडर बुलाए गए थे। जिनमें गिट्टी, मुरूम, पत्थर, रेत व मिट्टी का दोहन बड़े पैमाने पर रिजर्व एरिया से ही कराया जा रहा है। जबकि इन मामलों को रेंजर द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है। इस मामले में सबसे गंभीर पहलू यह है कि उपयोग में ली जाने वाली सामग्रियों की आपूर्तिकर्ता ठेकेदारों से रेंजर की सांठगांठ के कारण वह अपने सगे भाई से ही उक्त निर्माण कार्यों को कराए जाने के कारण वन परिक्षेत्र अधिकारी व कर्मचारी भी मूकदर्शक बने हैं।इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर जहां एक तरफ रेत का अवैध उत्खनन कराया जा रहा है वहीं दूसरी ओर भी इमारती लकड़ी की कटाई व परिवहन चरम पर है।

*ग्रामीणों को परेशान किए जाने पर अजाक थाने में शिकायत*

ग्रामीणों की माने तो रेंजर दुबरी द्वारा रिजर्व क्षेत्र में आवाद विभिन्न ग्रामों के आम लोगों के साथ अभद्रता व प्रताड़ित करने की घटनाएं आम हो चुकी है। उनमें विट्खुरी निवासी रामसुहावन बैगा के अनुपस्थित में उसके घर पर अनैतिक पूर्ण किए गए छापेमारी के दौरान रेंजर को उसके आवास से बन अपराध से जुड़ा कोई भी सबूत हाथ ना लग सका।बावजूद इसके उसके घर में रखे चंद रुपए व सोना चांदी के जेवरात भी लगे हाथ गायब कर दिए गए हैं।इस मामले की रिपोर्ट संबंधित द्वारा पुलिस थाना मझौली व अजाक थाना सीधी में दर्ज कराई गई है।

*रेंजर की लापरवाही से हुई थी सूरजदीन भुरतिया की मृत्यु*

गत वर्ष हाथी के हमले से हुई सेवादार की मौत पर मृतक के परिजन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाए थे। परिजनों ने हाथी को पागल बताते हुए आरोप लगाया था कि हाथी की सेवा महावत की जगह विभाग के रेंजर द्वारा मृतक सूरजदीन भुरतिया से कराया जा रहा था।जबकि वह इस कार्य के लिए प्रशिक्षित नहीं था। शिकायती आवेदन में मृतक की पत्नी के अनुसार पिछले 3 माह से हाथी पागल हाथी की सेवा करने से उसके पति इंकार कर चुके थे। लेकिन वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा उन्हें ज्यादा वेतन दिलाने का लालच देकर इस हाथी की सेवा कार्य में लगाए थे। उक्त शिकायत पर भी रेंजर के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई जिस पर भी ग्रामीणों में आक्रोश है।

*आदिवासियों की प्रताड़ना पर विधायक की चुप्पी*

उल्लेखनीय है कि उक्त वन परिक्षेत्र में कुल आबादी में से 90 फीसदी आदिवासी वर्ग की है।एवं क्षेत्रीय विधायक भी आदिवासी वर्ग से हैं। जिन्हें यहां के लोगों द्वारा रेंजर एवं वन कर्मियों के द्वारा किए जा रहे प्रताड़ना एवं ज्यादती की शिकायत समय-समय पर की जाती रही है। जिस पर विधायक की पूर्ण रूप से चुप्पी कई सवालों को जन्म देती है । अब देखना यह होगा कि अपने नैतिक दायित्वों पर विधायक कितना खरा उतरेंगे।

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