*शिक्षा विभाग की लापरवाही अभिभावकों पर पड़ रही है भारी*
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स्कूलों की मनमानी फीस पर क्या शिक्षा विभाग लगा पायेगा लगाम?
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उत्तर प्रदेश कुशीनगर जनपद के अभिभावको को बच्चो को पढ़ाना बच्चो का खेल नही रह गया है।देश मे ऐसे बहुत कम अभिभावक होगे जिन्हे अपने बच्चो की स्कूल की फीस को लेकर चिंता न होती हो।दुसरी तरफ स्कूल है कि हर बढ़ती क्लास के साथ फीस मे 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी कर देते है.इतना ही नही साल भर किसी न किसी नाम पर स्कूल अभिभावक की जेब काटने मे पीछे नही हटते न ही उन्हे किसी शिक्षा अधिकारी का डर रहता है।
आखिर स्कूल अब शिक्षा केंन्द्र की जगह दुकानो का रूप लेती नजर आ रही है।
स्कूलो की मोटी फीस अभिभावको के लिये मुसीबत बन रही है। स्कूलो द्रारा नर्सरी में प्राइमरी से ज्यादा फीस बसूली जा रही है।कुछ स्कूल डोनेशन के नाम पर कभी बैग.जूतों कपड़ों के मनमाने दाम लगा कर स्कूलों मे बच्चो अभिभावकों से ज्यादा फीस वसूल रहे है।
अधिकतर स्कूल किताबों के लिये दुकान तय करते है.और किताबे उसी बुक स्टोर से लेने के लिये कहते है जिस बुक स्टोर से स्कूल का कमीशन तय होता है।एक स्कूल का कमीशन लगभग 30.40.हजार रूपये होता है जो बुक स्टोर बाले स्कूल को देते है।खास बात यह है कि दुसरे बुक स्टोर पर किताबे मिलती ही नही है। उस कमीशन का बोझ भी अभिभावको पर पड़ता है।
मानकों से ज्यादा फीस देने पर मजबूर है अभिभावक.मई जून की भी फीस बिना डर से स्कूलो मे ली जा रही है।फीस जमा कराने में स्कूल बच्चों को रोजाना मनसिक रूप से प्रताड़ित भी करते है। अभिभावक बच्चों के भविष्य के लेकर शिकायत करने से डरते है.स्कूल नियमों को ताँक मे रखकर वसूली कर रहे है मनमानी फीस।कमीशन बाले बुक स्टोर से खरीदने के लिये कहते है स्कूल.शिक्षा विभाग सिर्फ स्कूलों से पैसे बटोरने मे लगा है। वो निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को रोकना ही नही चाहते है.स्कूलों के साथ शिक्षा विभाग ने भी मचाई लूट।आखिर शिक्षा विभाग क्यू खामोश है।