March 29, 2024 3:13 pm

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◆ *हम तो पूँछेंगे कलम की धार से*◆

◆ *हम तो पूँछेंगे कलम की धार से*◆

★ *क्या गैस एजेंसी संचालक के विरुद्ध अनसन से पूरी हो जाती है जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी*?

*क्या मुख्यमंत्री के सीधी दौरे ने नई सियासत को जन्म दिया*?

★ *मड़वास में रेल रोंकने के पीछे सियासत के क्या मायने*?

हम हर रविवार को अपने लेखनी के माध्यम से जिले के सियासत और समस्याओं से जन समुदाय को रू-ब-रू कराते हैं इस रविवार को भी सीधी के जनप्रतिनिधियों द्वारा किस तरह से जनता के साथ धोखा दिखावटी और बनावटी किया जा रहा है उससे अवगत कराने का पूरी तरह प्रयास करेंगे प्रश्न पूछ रहे हैं मध्य प्रदेश के सीधी जिले से सांसद श्रीमती रीती पाठक द्वारा नेता प्रतिपक्ष के गृह क्षेत्र चुरहट में उज्ज्वला योजना अंतर्गत ग्रामीणों को सिलेंडर आवंटन समारोह की बनी हास्यास्पद चर्चा के संबंध में ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं की लोकसभा 11 की सांसद को लोकसभा सदस्य के रूप में 4 साल पूरे होने को हैं और आज लोकसभा छेत्र की समस्याओं को लेकर सांसद को अनसन करना पड़ रहा है। जबकि सरकार का बहुसंख्यक पद सत्तासीन दल का है। हास्यास्पद हम और जिले के चिंतनीय ब्यक्ति इसलिए कह रहे हैं कि उज्वला योजना की शुरुआत वर्षो पूर्व हो चुकी है जिले में गरीबी का आलम सबाब पर है नियमानुसार एस. ई.सी.सी डाटा 2011 में उल्लेखित टिन नम्बर में तहत गरीबों को सिलेंडर प्राप्त हो जाने चाहिए थे सीधी के कई गैस एजेंसी संचालकों के विरुद्ध आमजनमानस ने शिकायत किया खबरनवीसों ने समाचार पन्नो में उकेरा लेकिन तब सीधी के जनप्रतिनिधियों को न दिखाई और न ही गरीबों की आवाज सुनाई दिया अब यह प्रोपोगंडा क्यों बताते हैं आगे-
●सीधी 11 की सांसद ने जनहित को लेकर आजतक अपनी ही सरकार के विरुद्ध किसी तरह कोई आंदोलन नहीं किया●
●उज्वला में ग्रामीणों को सिलेंडर न मिलने की शिकायत गैस एजेंसी संचालकों के वरिष्ठ कार्यालय और जिला प्रशासन के मुखिया के समक्ष की जाती है। और ग्रामीणों द्वारा ऐसा किया भी गया लेकिन अब तक किसी के विरुध्द कोई कार्यवाही प्रस्तावित नहीं हुई●
●तो क्या यह मान लिया जाय कि सीधी 11 की सांसद ने अपनी साख बचाने के चक्कर मे एजेंसी संचालक के विरुद्ध अनसन में बैठीं●
●तो क्या यह मान लिया जाय कि चुनाव आते ही सत्ता के नेता मनरेगा के मजदूरों के विरुद्ध भी अनसन में बैठेंगे●
●तो क्या यह मान लिया जाय कि सांसद के पास प्रशानिक चाभी नहीं होती शिवाय अनसन के●
●अगर जनहित की बात को बुलंद करनी थी तो कलेक्टर को फटकार क्यों नहीं मिली क्या इसलिए कि वो ताली बजा रहे थे सभा मे●मकसद और मायने जो भी हों लेकिन जनप्रतिनिधि का मजाक जरूर उड़ा क्योंकि वैधानिक कार्यवाही के बजाय एजेंसी संचालक के विरुद्ध सांसद का अनसन किसी हास्य से कम नहीं है। दूसरी ओर एजेंसी संचालक की सार्वजनिक स्थल में बेइज्जती हुई है तो सांसद के विरुद्ध एजेंसी संचालक को अनसन में वैठना चाहिए क्योंकि यह सोभायोग्य है अगर संचालक ने किसी तरह कोई विधिक चूक नहीं की है तो
★ *क्या मुख्यमंत्री के सीधी दौरे ने नई सियासत को जन्म दिया*★?
अभी हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का सीधी दौरा हुआ सीधी में वाहन दुर्घटना से एक ही कौम के 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी जो हृदयविदारक घटना थी जिनके परिजनों से मिलने की सियासत करने के तुरंत बाद सीधी के ही आदिवासी अंचल टमसार में चरण पादुका और तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस वितरण के ढकोसला पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें जिले भर के सत्ता पक्ष के नेता मंचासीन हुए थे खूब फोटो सेशन हुए और आदिवासियों के चरण में मुख्यमंत्री ने पादुका भी पहनाया पादुका पहनने आदिवासी सैकड़ों किलोमीटर दूर से किराया भाड़ा लगाकर पहुंचे जिसमें 30 से ₹40 मूल्य की रबर से बनी पादुका चरणों में मुख्यमंत्री ने पहनाया जिसमें मुख्यमंत्री को चरणों में देख आदिवासी भी मुस्कुराए और मन ही मन श्राप दिए की अगर वाकई सरकार किसी तरह की कल्याण करना चाहती तो आज आदिवासियों का उत्थान हो जाता और आदिवासी इतना सशक्त होते कि ₹40 की पादुका मुख्यमंत्री को न पहनाना पढ़ता आदिवासी स्वयं की अमीरों वाली पादुका पहन कर मुख्यमंत्री की सभा में शामिल शरीक होते इसी बीच एक और चिंतनीय बिंदु सीधी विधायक के संबंध में देखने को मिला जब सभी सांसद विधायक लाव लश्कर के साथ मुख्यमंत्री के अगल-बगल फोटो सेशन करा रहे थे और मुख्यमंत्री संपूर्ण जानकारी को सीधी विधायक के बजाय सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों से प्राप्त कर रहे थे तब सीधी के वर्तमान विधायक पीछे खड़े थे उपेक्षा का आलम यह था कि मुख्यमंत्री ने पूरे कार्यक्रम के दौरान स्वयं सीधी विधायक से सौहार्दपूर्ण कोई शब्द नहीं बोले जिसके कारण कार्यक्रम में मौजूद पत्रकार और आम जनमानस में कोतूहल का विषय बन गया कि क्या कारण है सीधी विधायक से मुख्यमंत्री ना तो कोई बातचीत कर रहे हैं और ना ही जिले के संबंध में कोई जानकारी प्राप्त कर रहे हैं जैसी भी हो लेकिन सीधी विधायक के लिए चिंता का विषय अवश्य है।

★ *मड़वास में रेल रोंकने के पीछे शियासत के क्या मायने*★?
सीधी के दूर अंचल से गुजरने वाली भोपाल और दिल्ली की ट्रेन सीधी के ही छेत्रफल मड़वास में नहीं रुक रही थी जिसके कारण सीधी वासियों को दूर सिगरौली या फिर व्यवहारी से ट्रेन पकड़नी पड़ती थी जिस वजह से जनता काफी तंग परेशान थी जिसकी आवाज सीधी जिला पंचायत अध्यक्ष के द्वारा पहली बार उठाई गई और इतना ही नहीं इसके लिए आंदोलन भी करना पड़ा आंदोलन में जन समुदाय का भारी जनसमूह देखने को मिला पहली बार यह भी देखने को मिला कि जनता की भलाई करने पर सियासत से लगे रास्ते के जरिए रेलवे आंदोलनकारियों पर रेल रोकने के संबंध में मुकदमा भी पंजीबद्ध किया सियासत गरमाई और सांसद को राजनीतिक प्रयास करना पड़ा लेकिन फिर भी सौतेलापन का हद तो देखिए की सीधी सांसद ने मड़वास के बजाए पूर्व की स्टेशन पर रेल रोकने के लिए रेलवे जबलपुर को चिट्ठी लिखी लेकिन उसमें मडवास का नाम जिक्र नहीं किया अब जब रेलवे ट्रेन रोकने की सुविधा मुहैया करा दी है तो झंडी दिखाने की होड़ लग गई चंडी भी सोच रही थी कहां से चक्कर में पड़ गई स्वयं उड़ जाती और रेलिया बैरन को दिख जाती तो बेचारी रेल धड़ाधड़ दौड़ते हुए प्रदेश और देश की राजधानी चली जाती पहले सांसद ने काफिला रंग दिखाया और अब जिला पंचायत अध्यक्ष का आज काफिला था जिला पंचायत अध्यक्ष अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी प्रकार का कोई जनहित के संबंध में आंदोलन नहीं किए जिस के संबंध में यह कहा जा सके की जिला पंचायत अध्यक्ष वाकई अपने क्षेत्र वासियों के लिए कृतसंकल्पित है यह सियासत का रुतवा ही है की अपने कार्यकाल के अंत में रेल रोको आंदोलन करके जनता के बीच में चर्चा का विषय बनाएं और भी समस्याओं को लेकर मिलेंगे अगले रविवार को

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राशिफल

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