*हम तो पूँछेंगे कलम की धार से*
【1】 *क्या सीधी में कोरोना संक्रमित के मिलने और संक्रमित सीधी में प्रशासन की कमी*?
【2】 *क्या क्वरेंटाइन सेंटर की कमी के वजह से घर भेजे जा रहे हैं मजदूर*?
【3】 *क्या समाज संक्रमित सामाजिक रखवाली करने में बेपरवाह है*?
मध्य प्रदेश जिला सीधी आज शनिवार है और हम अपने साप्ताहिक पेशकस *हम तो पूँछेंगे कलम की धार से* के आज के अंक में पहला सवाल सीधी में कोरोना की दस्तक पर प्रशासनिक पड़ताल के रूप कर रहे हैं। सीधी में करो ना महामारी के रूप में कोरोना संक्रमितों की संख्या 4 हो गई है लगभग 2 महीने से ज्यादा के समय तक सीधी शहर की आम जनमानस ने लाकडाउन का कड़ाई से पालन किया और पुलिस प्रशासन की मदद भी किया सामान्य जनमानस ने खूब लाठी-डंडे खाएं व्यवसायियों की दुकान सीज हो गई और ऐसा लगभग होना भी चाहिए था क्योंकि सरकार और प्रशासन को यह दिखाना था कि लाकडाउन का सीधी में बड़ी सख्ती से पालन किया जा रहा है लेकिन जब वाकई संक्रमण काल आया तो प्रशासन की सारी तैयारियां रखी की रखी रह गई और एक संक्रमित ने संक्रमण फैला दिया फिर क्या सीधी शहर सहित गांव के आम जनमानस तक डर और खौफ का माहौल पैदा हो गया मतलब 2 महीने से ज्यादा के समय क्लॉक डाउन का कोई मतलब नहीं निकला जब संक्रमण फैल ना था तो फैल ही गया प्रशासन के पास मजदूरों की कोई लिस्ट नहीं है प्रशासन ने कितने लोगों को क्वॉरेंटाइन किया कितने लोगों की सेंपलिंग हुई और पूरे जिले में कितने क्वॉरेंटाइन सेंटर हैं यह प्रशासन के ऊपर बड़ा सवालिया निशान है प्रशासन के पास व्यवस्था के नाम पर क्वॉरेंटाइन सेंटर ना होने के कारण मजदूरों को घर भेजा गया और मजदूर होम क्वॉरेंटाइन ना होकर पूरे गांव में घूम-घूम कर संक्रमण फैला रहे हैं अगर प्रशासन इस मामले में गंभीर होता तो जिले को संक्रमण से बचाया जा सकता था आज की स्थिति यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने पर सीधे कहा जाता है कि मजदूर घर जाएं इसका एक पहलू यह भी है की सैंपल जो लिए जाते हैं उसकी जांच उसकी जांच की रफ्तार बहुत धीमी है
【2】 *क्या क्वॉरेंटाइन सेंटर की कमी की वजह से घर भेजे जा रहे हैं मजदूर*?
कोरोना बहुत बड़ी महामारी है जिसमें प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि अन्य प्रदेशों से आने वाले मजदूरों को 14 से 21 दिन क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जाता लेकिन ऐसा नहीं किया गया इसकी प्रशासनिक मजबूरी भी हो सकती है किस आसन से उन्हें निर्देश हो क्वॉरेंटाइन सेंटर में संपूर्ण व्यवस्था नहीं है या फिर शासन या प्रशासन द्वारा नहीं की जा सकती है लेकिन इस टाइम पर संपूर्ण महाविद्यालय और विद्यालय बंद है शासकीय दफ्तर ज्यादातर बंद है ऐसी स्थिति में प्रशासन अगर चाहता तो क्वॉरेंटाइन सेंटर बढ़ा सकता था मजदूरों को घर भेजने के बजाय में रखा जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया और कुरौना संक्रमण गांव-गांव तक फैलने की आशंका बड़ी डरावनी सी हो गई है इसलिए हम अपने दूसरे सवाल में बेहिचक यह कह सकते हैं कि क्वॉरेंटाइन सेंटर की कमी की वजह से मजदूर घर भेजे जा रहे हैं
【3】 *क्या समाज संक्रमित सामाजिक रखवाली करने में बेपरवाह है*?
बाहर से आने वाले मजदूरों की रखवाली और उन पर नजर बनाए रखने का एक काम समाज के उन नुमाइंदों का भी है उन राजनीतिक दलों के सदस्य पदाधिकारियों का भी है जो जब तक शहर में कोरोनावायरस नहीं था तब तक कोरोना फाइटर बने हुए थे जैसे ही करो ना दस्तक दिया सब के सब विलुप्त हो गए अब शहर में किसी तरह की कोई सामाजिक गतिविधि चाय पिलाते हुए लोग नहीं दिखाई देते लगभग 30 गए होंगे 60 दिन से लगातार राजनीतिक रोटी सेक रहे सामाजिक वायरस विलुप्त है और अब प्रशासन से नहीं पूछते कि आखिर सरकार और प्रशासन ट्रक बस में चढ़कर जो मजदूर बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए हुए सीधे घरों में प्रवेश कर रहे हैं और वह गांव में आजा भी रहे लोगों के यहां तो इस पर आखिर एक्शन प्लान प्रशासन का क्या है खैर यह समाज और प्रशासन जाने लेकिन समाज का एक छोटा सा उपकरण होने के नाते मैं अपने गांव और आस-पड़ोस का अच्छा खासा ख्याल रख रहा हूं और जो लोग बाहर से आए हैं उनके बारे में पूरी जानकारी प्रशासन के साथ साझा कर रहा हूं कलम थोड़ा तीखी है लेकिन कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक नहीं है आज बस इतना ही फिर मिलेंगे अगले शनिवार को