*हम तो पूँछेंगे कलम की धार से*
【1】 *क्या वाकई कर्तब्यों के प्रति लापरवाह है वन विभाग*?
【2】 *क्या कोरोनाकाल मे भी जिले की उचित मूल्य की दुकानों में अनाज की हो रही कालाबाजारी*?
【3】 *क्या हर हप्ते थाना में हाजिरी से खत्म हो जाएगी अराजकता*?
मध्य प्रदेश जिला सीधी आज शनिवार दिनांक 25 जुलाई है और हम अपनी खास पेशकश हम तो पूँछेंगे कलम की धार से पहला सवाल पूंछ रहे हैं सोते हुए शेर वन विभाग के बारे में वन विभाग गृह पुलिस विभाग जैसा ही प्रतिमूर्ति है लेकिन यह महज खानापूर्ति तक ही सीमित रहता है ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि बीते तीन दिन पूर्व रामपुर नैकिन थाना अंतर्गत मेरे गृहग्राम भुइयांडोल में एक हिरण जो घायल अवस्था में पड़ा हुआ था उसे देखकर ग्रामीणों ने वन विभाग के अमले को सूचना दी ताकि समय रहते वन्य प्राणी को बचाया जा सके लेकिन हमेशा से लापरवाह वन विभाग ने ग्रामीणों की बात को अनसुना कर दी और अंततः हिरण की मौत हो गई लापरवाह इसलिए कह रहे हैं कि वन विभाग कभी भी जंगलों के पेड़ पौधों की सुरक्षा के हेतु सजग नहीं रहा यूं तो बरसात के दिनों में लाखों पेड़ पौधे लगा दिए जाते हैं लेकिन उनकी देखरेख नहीं की जाती और वह पूर्णता खत्म हो जाते हैं और फिर वही डर रहा अगले बरसात में शुरू हो जाता है इसके अलावा पूरे 11 महीने वन विभाग के कर्मचारियों का कोई अता पता नहीं रहता है हिरण की मौत मात्र एक उदाहरण है कई ऐसे उदाहरण पड़े हुए हैं जिन पर वन विभाग कोई अमल नहीं किया अब जरा इसे समझिए अगर किसी सामान्य आदमी द्वारा हिरण की हत्या कर दी गई होती तो वह कानून के दायरे में बड़ा अपराध हो जाता लेकिन इस तरह की असावधानी बरतने वाले वन विभाग के ऊपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं फिलहाल अति सूक्ष्म शब्दों में यह कहा जा सकता है कि वन विभाग सोता हुआ शेर है।
【2】 *क्या कोरोनाकाल मे भी जिले की उचित मूल्य दुकानों में अनाज की हो रही कालाबाजारी*?
पूरे भारत में कोरोना का कहर जारी है लॉक डाउन की अवधि के दौरान संपूर्ण कामकाज अभी भी चालू नहीं है लोग परेशान हैं तंग है ऐसे में लोगों को उदर पूर्ति की समस्या भी सताने लगी है सरकारें कुछ प्रयास कर रहे हैं कि लोग भूखे ना मरे लेकिन जिन लोगों के सहारे सरकार ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं वह पूरी तरह से अवसर का लाभ उठाने में लगे हुए हैं ग्रामीण अंचल में आज भी उचित मूल्य की दुकान नहीं खुलती जनता को समय पर अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पा रही है ऐसे में एक तरफ जहां बड़े-बड़े महानगरों से मजदूर निकाले जा चुके हैं ग्राम पंचायतों में उनको काम नहीं मिल रहा है ग्रामीण अंचल में कहीं मजदूरी भी नहीं कर रहे हैं और दूसरी तरफ उनकी हक हिस्से की अनाज का कालाबाजारी उचित मूल्य के विक्रेताओं द्वारा किया जा रहा है तो उन करीब मजदूरों का जीवन यापन कैसे होगा यह एक सोचने बिंदु है इस पर खाद्य विभाग कोई अमल नहीं कर रहा है सामान्य जनमानस की कोई शिकायत नहीं सुनी जा रही हैं मात्र शिकायतों को यह कहकर किनारे कर दिया जाता है कि यह कोरोना काल चल रहा है फिलहाल जनता के हाथ में डाका डाला जा रहा है
【3】 *क्या हर हप्ते थाना में हाजिरी से खत्म हो जाएगी अराजकता*?
नवीन पुलिस अधीक्षक के आगमन से व्यवस्था में सुधार की एक मुहिम चलाई गई जिसमें गुंडा मवालियों को हर हफ्ते थाना में हाजिरी देना अनिवार्य कर दिया गया ऐसा करने के पीछे सीधी पुलिस की मंशा यह रही है कि अपराध में रोकथाम होगा और अगर ऐसे गुंडा मवाली द्वारा कोई अपराध किया जाता है तो आसानी से पकड़ कर कार्यवाही की जा सकेगी ऐसा कुछ थानों और चौकियों में हुआ भी लेकिन महेश खानापूर्ति तक यह सीमित रह गया अखबार के पन्नों में परेड तो कराई गई लेकिन कुछ थानों में सूची तक नहीं बनाई जा सकी कई मायनों में ऐसा परेड भी विधि के प्रतिकूल दिखा सीधी थाना कोतवाली अंतर्गत कोई परेड नहीं हुई अगर ऐसी सूची बनाई भी गई होगी तो सार्वजनिक नहीं हो सकी क्योंकि सीधी नगर पालिका के अंतर्गत और उसके इर्द-गिर्द के कई गांव ऐसे हैं जहां अपराधियों की लंबी चौड़ी सूची है और ऐसे लोग आए दिन गली मोहल्लों में लोगों को धमकाते रहते हैं अगर एक बार यह मान भी लिया जाता है कि सीधी पुलिस की अव्यवस्था वाकई अपराध की रोकथाम के लिए आवश्यक है तो ऐसे में जिले की नगर पालिका के अगल बगल के गांव में कुछ रसूखदार अपराधी है जिन पर भी कार्यवाही किया जाना उचित होगा और उनको सूची बंद करके सूची सार्वजनिक किया जाना भी आवश्यक होगा आज बस इतना ही फिर मिलेंगे कुछ नवीन सवालों के साथ अगले शनिवार को