*राजनीति के अमर आज नहीं रहे…*
*राजनीति के अमर आज नहीं रहे…*
चौसठ साल के अमर सिंह की कहानी भारतीय राजनीति में बीते दो दशक के दौरान किसी अमर चित्र कथा की तरह है. वे एक दौर में समाजवादी पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेता रहे, फिर पार्टी से बाहर कर दिए गए
इस दौरान गंभीर बीमारी और राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले जाने के चलते वे कुछ समय तक राजनीतिक पटल से ग़ायब ज़रूर हुए लेकिन पुनः वह राजनीतिक गलियारों में चमकने लगे
उत्तर प्रदेश लखनऊ कभी धरतीपुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह और किसानों और पिछड़ों की पार्टी समाजवादी पार्टी को आधुनिक और चमक दमक वाली राजनीतिक पार्टी में तब्दील करने वाले अमर सिंह ही थे. चाहे वो जया प्रदा को सांसद बनाना हो, या फिर जया बच्चन को राज्य सभा में लाना हो, या फिर संजय दत्त को पार्टी में शामिल करवाना रहा हो, या उत्तर प्रदेश के लिए शीर्ष कारोबारियों को एक मंच पर लाना हो, ये सब अमर सिंह का ही करिश्मा था.
एक समय में समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की हैसियत ऐसी थी कि उनके चलते आज़म ख़ान, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे मुलायम के नज़दीकी नाराज़ होकर पार्टी छोड़ गए. लेकिन मुलायम का भरोसा उनपर बना रहा. दरअसल, मुलायम-अमर के रिश्ते की नींव एचडी देवगौड़ा के प्रधानमंत्री बनने के साथ शुरू हुई थी. देवगौड़ा हिंदी नहीं बोल पाते थे और मुलायम अंग्रेजी नहीं, ऐसे में देवगौड़ा और मुलायम के बीच दुभाषिए की भूमिका अमर सिंह ही निभाते थे. तब से शुरू हुआ ये साथ अब तक जारी रहा और आज अमर सिंह का 64 साल की उम्र में निधन हो गया यह वाकई राजनीतिक दुनिया के लिए दुखद है।